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वेतन मांगने लेबर ऑफिस क्यों पहुंचे श्रमिक जाने

locationभिंडPublished: Oct 01, 2019 12:25:59 pm

Submitted by:

Rajeev Goswami

कंपनी बोली नहीं आ रहे ऑर्डर इस लिए रूका है वेतन

वेतन मांगने लेबर ऑफिस क्यों पहुंचे श्रमिक जाने

वेतन मांगने लेबर ऑफिस क्यों पहुंचे श्रमिक जाने

भिण्ड(मालनपुर). दो वक्त की रोटी के लिए हाड़ तोड़ रहे मजदूरों को तीन माह से वेतन नहीं मिला है। मानदेय के लिए उन्हें कंपनी द्वारा लगतार टरकाया जा रहा है। यहीं नहीं उनसे यह भी कहा जा रहा है कि देश में मंदी के कारण आर्डर नहीं मिल रहे हैं, जिससे कंपनी में पैसों की किल्लत हो रही है। अब ऐसे में 200 लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। वेतन की मांग को लेकर जब कहीं सुनवाई नहीं हुई तो श्रमिकों ने आक्रोशित होकर न केवल प्रदर्शन किया बल्कि लेबर ऑफिस के बाहर नारेबाजी भी की।
उद्योग क्षेत्र के मैसर्स एमजी रबर्स कारखाने में पिछले तीन माह से कामगारों को वेतन नहीं मिल रहा है। परेशान मजदूरों के द्वारा वेतन व ओव्हर टाइम का तीन माह से रोक दिए गए भुगतान को शीघ्र कराए जाने की मांग की जा रही है।
शनिवार को गुस्साए मजदूरों ने मालनपुर के विकास भवन पर लेबर कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया तथा प्रशासन व लेबर विभाग से फैक्ट्री प्रबंधन से बकाया वेतन व ओवरटाइम का भुगतान पूर्व में संपन्न हुए समझौते के अनुुसार तत्काल कराए जाने की मांग की। मजदूरों ने बताया कि गत 18 सितंबर को मजदूरों व कारखाना प्रबंधन के बीच जुलाई 2019 से सितंबर 2019 तक के तीन माह के वेतन को 28 सितंबर से 10 अक्टूबर तक क्रमिक रूप से किए जाने का समझौता हुआ था जिसके अनुसार, जुलाई माह के वेतन का मजदूरों को भुगतान 25 सितंबर को किया जाना था पर इसका पालन नहीं किया गया है। जुलाई माह में मजदूरों से प्रति दिन 12 घंटे काम कराया गया था लेकिन फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से महज आठ घंटे का ही भुगतान किया गया। वहीं चार घंटे का अतिरिक्त काम कराए जाने का डबल भुगतान 28 सितंबर को किया जाना था वह भी नहीं किया गया। समझौते के मुताबिक जुलाई माह का वेतन 28 सितंबर को, अगस्त माह का &0 सितंबर को और सितंबर माह का 1 से 10 अक्टूबर के बीच भुगतान किया जाना है लेकिन फैक्ट्री मालिकों द्वारा श्रमिकों को समझौते के अनुसार भी बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है।
टायर फैक्ट्रियों के लिए बनता है सामान

यहां बतादें कि एमजी रबर्स मालनपुर द्वारा वाहनों के टायर निर्माण में काम आने वाला रबर का सामान बनाया जाता है। कारखाने में पालियों में काम होता है तथा इसमें लगभग 200 से ’यादा कुशल अकुशल मजदूर काम करते हैं। इस कारखाने में बनने वाले सामान की सप्लाई बड़ी-बड़ी टायर फैक्ट्रियों को होती है। फैक्ट्री प्रबंधन का कहना है कि पिछले कुछ माहों से मंदी के कारण सप्लाई के आर्डर नहीं थे जिससे कारखाने में उत्पादन बंद कर दिया गया था व वेतन भुगतान समय पर न हो पाने की समस्या आ गई थी। अब इसी सप्ताह में कारखाने में उत्पादन शुरू हो जाएगा।
एक साल में 3000 से ’यादा मजदूरों की हुई छंटनी

उद्योग क्षेत्र की इकाइयों में गुजरे एक साल में विभिन्न सेक्टरों में 3000 से अधिक मजदूरों की छंटनी की जा चुकी है। उद्योग क्षेत्र में संचालित 80 औद्योगिक इकाइयों में कुल लगभग 20 हजार श्रमिक कार्यरत हैं। मजदूर नेता एवं सीटू के पूर्व जिला सचिव देवेन्द्र शर्मा के अनुसार सबसे अधिक लगभग 700 कर्मचारी जमना ऑटो इंडस्ट्री से निकाले गए हैं। यह फैक्ट्री वाहनों की कमानी बनाती है। वाहन सेक्टर की मंदी से इस कंपनी के कारेाबार पर काफी विपरीत प्रभाव पड़ा है। लगभग 35 साल पहले सरकार ने यहां भारी अनुदान और राहतें देकर लगभग 300 कारखाने लगवाए थे। इनमें हजारों करोड़ रुपए के निवेश वाली 20 से अधिक मल्टीनेशनल यूनिटें भी थीं। अब तक 200 से अधिक कारखाने बंद हो चुके हैं।
-जुलाई माह के बकाया वेतन का प्रबंधन ने समझौते की शर्त के अनुसार २४ जुलाई को मजदूरों को भुगतान कर दिया है, चार घंटे के ओवरटाइम का भुगतान २८ सितंबर को होना था जो किसी वजह से नहीं हो पाया है। फैक्ट्री प्रबंधन ने १२ अक्टूबर से उत्पादन फिर से शुरू करने की बात कही हेै।
अशोक पाठक, श्रम निरीक्षक मालनपुर
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