सर्दी में भी बढ़ रही आग की घटनाएं, अगर हादसा हुआ तो अब मुकदमा होगा दर्ज
नए प्रावधान से हो सकेगी फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने की पालना
सर्दी में भी बढ़ रही आग की घटनाएं, अगर हादसा हुआ तो अब मुकदमा होगा दर्ज
भिवाड़ी. औद्योगिक इकाइयों का जिस तरह विस्तार हो रहा है, उसी अनुपात में यहां आग की घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। औद्योगिक, व्यावसायिक और आवासीय क्षेत्र में आग की घटनाओं को रोकने के उचित इंतजाम नहीं किए जाते। लापरवाही के कारण आग लगती है। सर्दी-गर्मी सभी मौसम में आग जनित घटनाओं में वृद्धि ही देखी जा रही है। अवैध रूप से आबादी के बीच में चल रहे दो कबाड़ गोदाम में बीते दिनों आग लगी और कबाड़ी मौका छोडक़र ही फरार हो गया। आसपास के लोगों की जान को जोखिम में डाल दिया, लेकिन अब इस तरह की लापरवाही करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने का प्रावधान भी आ चुका है। अग्निशमन अधिकारी लापरवाही बरतने वाले संचालकों के खिलाफ मामला भी दर्ज करा सकते हैं। अभी तक सिर्फ पांच हजार का जुर्माना लगाने और परिसर को सीज करने का नियम था। लेकिन अब कोई आग की घटना होने पर मुकदमा दर्ज होने पर सजा भुगतनी होगी। क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयों में अग्निशमन उपकरणों को लेकर निराशा की स्थिति है, पहले आग की बड़ी घटनाएं गर्मी में अधिक होती थीं लेकिन अब सर्दी में भी वहीं स्थिति है।
—–
आग से बचने नहीं इंतजाम
आवासीय सोसायटी, स्कूल, मॉल, हॉस्पीटल सभी जगह फायर सुरक्षा उपकरणों की कमी है। पांच हजार औद्योगिक इकाई में से करीब 750, 32 आवासीय सोसायटी में से 19, 25 होटल में से 7, 35 हॉस्पीटल में से 12, 125 से अधिक स्कूल में से सिर्फ नौ, पांच में से दो शॉपिंग कॉम्पलेक्स के पास ही फायर एनओसी है। जबकि औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में कबाड़ गोदाम है, इनका किसी प्रकार का कोई रिकॉर्ड प्रशासन के पास नहीं है। अक्सर इन गोदाम में भयंकर आग लगती है। लेकिन इनके पास आग को बुझाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं होती। औद्योगिक क्षेत्र में दो साल में दो सौ से ज्यादा आग जनित घटनाएं हुई हैं। भिवाड़ी, कहरानी, चौपानकी, टपूकड़ा और खुशखेड़ा क्षेत्र में पांच हजार से अधिक कंपनियां हैं। इन इकाइयों में से मात्र 15 फीसदी कंपनियों ने ही फायर एनओसी ली है।
—-
पैसे बचाने सुरक्षा ताक पर
फायर एनओसी लो हेजर्ड, मीडियम और हाई हेजर्ड तीन वर्ग में जारी होती है। लो हेजर्ड में आग बुझाने वाले सिलेंडर, मीडियम में आग बुझाने वाले सिलेंडर और हाइड्रेंट और हाई हेजर्ड में आग बुझाने वाले सिलेंडर, स्प्रिंकल और चार घंटे तक पानी की क्षमता वाला हाइड्रेंट होना चाहिए। एक हजार वर्गमीटर की इकाई को हाई हेजर्ड में फायर एनओसी चाहिए तो उसे अपने परिसर में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने में करीब 15 से 20 लाख रुपए की लागत आती है। फायर उपकरण लगाने में बड़ी राशि खर्च होती है जिसकी वजह से अधिकांश इकाई बिना अग्नि सुरक्षा उपकरणों के ही काम करती हैं।
—-
रिहर्सल भी जरूरी
आग लगने वाली कुछ इकाई ऐसी भी थी जिनमें फायर फाइटिंग के उपकरण मौजूद थे। इन इकाइयों में जब आग लगी तो बुझाने के लिए फायर सिस्टम काम नहीं आ सका। कंपनियों में कर्मचारी आग बुझाने के लिए प्रशिक्षित नहीं थे। आग लगने के बाद पांच मिनट में ही आग पर काबू पाया जाता है। अगर आग फैल गई तो विकराल रूप धारण कर लेती है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए कर्मचारियों को साल में दो बार मॉक ड्रिल कराकर अभ्यास कराने से आग की घटनाओं को रोका जा सकता है। रामपुर मुंडाना स्थित सर्व पॉलिटेक में आग बुझाने के इंतजाम नहीं थे, जिससे बड़ा नुकसान हुआ।
—-
इनके लिए एनओसी अनिवार्य
आवासीय में नौ मीटर ऊंचाई और 250 वर्गमीटर से अधिक के परिसर, 50 व्यक्ति, 50 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले पंडाल, 500 वर्गमीटर और नौ मीटर से ऊंचे होटल, 20 व्यक्ति की क्षमता वाले रेस्टोरेंट, बार, रिसोर्ट, सभी रूफटॉप, वाणिज्यिक में 50 व्यक्ति क्षमता वाले भवन, 500 वर्गमीटर वाले भवन और जिनकी ऊंचाई नौ मीटर हो। सभी पेट्रोल पंप, फ्यूल स्टेशन, गैस फिलिंग स्टेशन, ज्वलनशील पदार्थ स्टोरेज इकाई और औद्योगिक इकाई को फायर एनओसी लेनी होती है।
—-
पहले जुर्माने और सीज का प्रावधान था, अब आग लगने पर सुरक्षा उपकरण नहीं होने पर मुकदमा भी दर्ज कराया जाएगा।
नरेश कुमार मीणा, अग्निशमन अधिकारी
Hindi News/ Bhiwadi / सर्दी में भी बढ़ रही आग की घटनाएं, अगर हादसा हुआ तो अब मुकदमा होगा दर्ज