छह साल दो महीने पहले फायर टेंडर निर्माण के लिए चेसिस खरीदे गए थे। बिना देखरेख एवं उचित उपयोग के अब ये चेसिस कबाड़ हो चुके हैं। विभागीय अधिकारी भी इन्हें अब किसी उपयोग लायक नहीं मान रहे हैं। नगर परिषद ने मई 2018 में टेंडर जारी कर दमकल वाहनों के लिए छह नए चेसिस खरीदे थे। बीएस फॉर फायर चेसिस खरीदने के बाद इनमें फायर टेंडर निर्माण के बाद पंजीयन नंबर प्राप्त करने थे लेकिन नगर परिषद को बीडा ने राशि स्वीकृत नहीं की, जिसकी वजह से चेसिस खाली ही खड़े रह गए। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने बीएस फॉर वाहनों के पंजीयन पर रोक लगा दी। नगर परिषद ने क्षेत्र में आग बुझाने के लिए बीडा द्वारा दिए गए फायर सेस के 1.20 करोड़ रुपए से फायर चेसिस खरीदे थे। फायर चेसिस खरीदने के बाद परिषद ने फायर सेस कोष से ही इन चेसिस के ऊपर फेब्रिकेशन का काम कराने के लिए बीडा से राशि मांगी लेकिन राशि नहीं मिली, जिसकी वजह से इन फायर चेसिस का पंजीयन नहीं हो सका। तभी से ये फायर चेसिस नगर परिषद के अग्निशमन केंद्र में खड़े हुए हैं। पहले ये फायर चेसिस हॉल में खड़े रहते थे। परिषद को डीएलबी से हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म और दमकल वाहन मिल जाने के बाद उन्हें हॉल में खड़ा किया जाने लगा है। करीब डेढ़ साल से ये चेसिस खुले में खड़े होने की वजह से खराब हो चुके हैं। अग्निशमन केंद्र में जहां इन फायर चेसिस को खड़ा किया गया है, वहां पर अब घास-फूस भी फायर चेसिस के बराबर उग आई है।
एक्सचेंज भी नहीं हुआ
इन चेसिस का उपयोग करने के लिए कई स्तर पर जुगाड़ लगाए गए लेकिन कोई सफल नहीं हुआ। गत सरकार में उद्योग विभाग ने राज्य स्तर पर बड़ी संख्या में फायर टेंडर खरीदने की तैयारी थी, इन फायर चेसिस को एक्सचेंज करने के लिए नगर परिषद से तथ्यात्मक जानकारी मांगी गई थी। बीएस फॉर के फायर चेसिस कंपनी को वापस देने की तैयारी की थी लेकिन वहां भी बात नहीं बन सकी।
5.81 करोड़ से होने थे तैयार
दमकल के छह चेसिस में 5.81 करोड़ रुपए का फेब्रिकेशन काम होना था। इस राशि से दमकल वाहनों में आग बुझाने के उपकरण लगाए जाने थे, जिससे कि इन चेसिस को आधुनिक तरीके से आग बुझाने के लिए उपयोग किया जा सके। बीएस फॉर के पंजीयन नहीं होने की वजह से ये वाहन अग्निशमन शाखा में ही खड़े रह गए।
नहीं हो सका पंजीयन
बीडा ने फायर सेस का पैसा नगर परिषद को दिया, जिससे परिषद ने चेसिस खरीदे। चेसिस खरीदने के बाद इनका फेब्रिकेशन होना था, फेब्रिकेशन के लिए बीडा ने पैसा नहीं दिया, फायर टेंडर की बॉडी का निर्माण हुए बिना पंजीयन नंबर नहीं मिल सकता था और बाद में न्यायालय ने बीएस फॉर की गाडिय़ों पर ही रोक लगा दी।
फायर चेसिस का मामला उच्चाधिकारियों के संज्ञान में है, वहीं से इसको लेकर निर्णय किया जाना है। नरेश कुमार मीणा, अग्निशमन अधिकारी