इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, अशोक तंवर, दुष्यंत चौटाला, भव्य बिश्नोई, श्रुति चौधरी समेत कई नेता चुनाव हार गए हैं। चुनाव परिणाम में यह साफ हो गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंधी के आगे हरियाणा में राजनीति के कई दिग्गज ढेर हो गए हैं। चुनाव परिणाम ने यह साफ कर दिया है कि जातिगत समीकरणों से अलग होकर हरियाणा के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एकजुट हुए हैं। यह पहला मौका था जब हरियाणा में यह चुनाव बगैर किसी मुद्दे के लड़ा गया। यहां प्रत्याशी बनाम प्रत्याशी की बजाए मोदी बनाम अन्य दलों के प्रत्याशी थे।
हरियाणा में कांग्रेस पार्टी जहां एक तरफ विपक्षी दल बनने की तरफ अग्रसर है, वहीं लोकसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया है। लोकसभा चुनाव से पहले तक विपक्षी दल की भूमिका निभाने वाली इंडियन नेशनल लोकदल की हालत इतनी दयनीय हो गई है कि ज्यादातर सीटों पर इनेलो के प्रत्याशी चौथे स्थान पर रहे हैं। हरियाणा में इस चुनाव के दौरान जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन करके अपने प्रत्याशी चुनावी रण में उतारे थे, जिन्हें जनता ने अस्वीकार कर दिया है। हिसार सीट को छोडक़र गठबंधन कहीं भी अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सका है। इस चुनाव के दौरान एलएसपी और बीएसपी ने गठबंधन करके खुद को दलितों व पिछड़ों के प्रतिनिधि के रूप में पेश किया था लेकिन इस गठबंधन को भी बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा है।