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भिवानी

कागजों में चल रहे संस्थानों पर पढ़ रहे थे फर्जी छात्र

घोटालेबाजों ने ऑनलाइन प्रणाली का भी निकाला तोड़

भिवानीDec 25, 2019 / 05:44 pm

Chandra Prakash sain

चंडीगढ़. हरियाणा में हुए एससी,बीसी छात्रवृत्ति घोटाले की परतें अब धीरे-धीरे खुल रही हैं। विजिलेंस ब्यूरो द्वारा एक दर्जन अधिकारियों व कर्मचारियों के विरूद्ध मामला दर्ज किए जाने के बाद जहां विभाग में हडक़ंप मचा हुआ है वहीं विजिलेंस के निशाने पर कई और अधिकारी व कर्मचारी भी हैं। जिन पर आने वाले दिनों में शिकंजा कसा जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि एससी, बीसी छात्रों के लिए शुरू की गई छात्रवृत्ति योजना अपनी स्थापना से लेकर आजतक विवादों में रही है। मनोहर सरकार ने सत्ता में आने के बाद इस योजना को ऑनलाइन में भी तबदील किया लेकिन भ्रष्टाचार नहीं थमा। समाज कल्याण विभाग के महानिदेशक रहते हुए आईएएस संजीव वर्मा ने पिछले साल पहली बार छात्रवृत्ति घोटाला पकड़ा था। इसके बाद मामले की जांच विजिलेंस ब्यूरो को सौंप दी गई।
विजिलेंस ब्यूरो के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच में संस्थान और छात्र दोनों ही फर्जी मिले हैं। जांच में जहां करीब 40 प्रतिशत विद्यार्थी फर्जी मिले हैं वहीं करीब तीस प्रतिशत संस्थान भी फर्जीवाड़े में चलते पाए गए हैं। करीब 43 करोड़ के घोटाले में उच्चाधिकारियों के शामिल होने की आशंका भी जताई जा रही है। जांच में पता चला है कि इस घोटाले में विभागीय अफसरों और कर्मचारियों के अलावा बाहरी लोग भी शामिल हैं।
कैसे हुआ छात्रवृत्ति घोटाला: इस घोटाले को अंजाम देने वाले लोगों ने युवाओं से दस्तावेज लेकर उनके नाम से बैंकों में खाते खुलवाए। दूसरे प्रदेशों के शिक्षण संस्थानों में झूठे दाखिले दिखाकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया। कई शिक्षण संस्थानों के प्रबंधक दलालों के जरिये ग्रामीण छात्रों को फंसाते हैं। इसकी एवज में दलाल को पांच हजार रुपये प्रति छात्र तक दिए जाते हैं।
कहां पकड़ा गया कितने करोड़ का घोटाला
जिला का नाम घोटाला
भिवानी तीन करोड़ 35 लाख
हिसार तीन करोड़ 75 लाख
फतेहाबाद सात करोड़
सिरसा एक करोड़ 62 लाख
दादरी 32 लाख
सोनीपत,रोहतक,झज्जर करीब 26 करोड़

दोषियों के खिलाफ होगी कठोर कार्रवाई:सीएम
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एससीबीसी छात्रवृत्ति घोटाले पर बोलते हुए कहा कि विजिलेंस द्वारा बेहद पारदर्शिता के साथ इसकी जांच की जा रही है। कई अफसरों और कर्मचारियों के साथ ही दूसरे लोगों पर भी एफआइआर दर्ज कराई गई हैं। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा घोटाले में शामिल शिक्षण संस्थाओं पर भी कानूनी कार्रवाई करते हुए पूरी राशि की रिकवरी की जाएगी।

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