पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने मंगलवार को यहां कहा कि खरीफ की कटाई के समय प्रदेश में हुई भारी बरसात किसानों पर आफत बन कर आई है। यह बेहद चिन्ता का विषय है। धान के पानी में डूबने के कारण जहाँ उसकी क्वालिटी में गिरावट आएगी वहीं वजन में भी फर्क आना तय है। धान का जो दाना जमीन को छू गया, उसका अंकुरित होना लाजिमी है। मौसम की मार से पहले ही धान प्रति एकड़ कम बैठ रहा था, और अब बेमौसमी बरसात ने धान की फसल को बर्बाद कर दिया है।
हुड्डा ने कहा कि कुछ ऐसी ही स्थिति कपास की भी है। कपास की फसल को पहले ही उखेड़ा रोग व सफेद मक्खी ने काफी नुकसान पहुँचाया था और अब बारिश ने बची हुई फसल को चैपट कर दिया है। जो बाड़ी पछेती थी उसका बारिश के कारण फूल झड़ गया है और अगेती के खिल चुके डोडे भी झड़ गए हैं। इसी तरह बाजरे की फसल को भी बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है। न केवल दाना बदरंग हो गया है बल्कि ज्यादा नमी के कारण चेपा रोग भी आ गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थिति यह बन गई है कि हरियाणा के किसानों के सामने घोर संकट के हालात पैदा हो गए है। फसल बीमे में इतनी विसंगतियां हैं कि किसान को इसके नुकसान की भरपाई मुश्किल है। अतः सरकार विशेष गिरदावरी की औपचारिकता ऑफिस में बैठ कर पूरी ना कराए बल्कि गाँव की पंचायत या जिम्मेवार लोगों की कमेटी को भी इसमें भागीदार बनाया जाए और एकड़ को इकाई माना जाए न कि गाँव या ब्लाक को।
उधर, कांग्रेस विधायक दल की नेता किरण चैधरी ने हरियाणा सरकार से प्रदेश में विशेष गिरदावरी करवाकर सभी किसानों को कम से कम तीस हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा देने की मांग की है।