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एसवाईएल हिमाचल मार्ग मंच ने किया एसवाईएल पानी का हल निकालने का दावा

locationभिवानीPublished: Jan 10, 2018 10:42:10 pm

हरियाणा व पंजाब के लिए सतलुज यमुना लिंक नहर दशकों से राजनीतिक खींचातानी का विषय रहा है

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भिवानी। हरियाणा व पंजाब के लिए सतलुज यमुना लिंक नहर दशकों से राजनीतिक खींचातानी का विषय रहा है। एसवाईएल हिमाचल मार्ग मंच ने अब इस समस्या का हल खोजने का दावा किया है। पंजाब द्वारा एसवाईएल का पानी हरियाणा में आने से रोकने के कारण एसवाईएल का पानी हिमाचल के छोटे रास्ते से लाए जाने का विकल्प इस मंच ने दिया है, जो पानी पंजाब के रास्ते 156 किलोमीटर पड़ता था, वह पानी हिमाचल के रास्ते हरियाणा में लाने के लिए मात्र 67 किलोमीटर में ही आ पाएगा।

इसको लेकर एसवाईएल नहर वाया हिमाचल मार्ग मंच के अध्यक्ष जितेन्द्रनाथ एडवोकेट ने भिवानी में पत्रकार वार्ता आयोजित कर टोपोग्राफिक मैप के माध्यम से पत्रकारों को रूपरेखा बताई। एसवाईएल नहर वाया हिमाचल मार्ग मंच के अध्यक्ष जितेन्द्रनाथ एडवोकेट ने कहा कि एसवाईएल के समाधान को लेकर वैकल्पिक रास्ते के लिए जनता को अवगत करवाने के लिए 20 जनवरी से दक्षिणी हरियाणा में रथयात्रा निकाली जाएगी।


वर्तमान में एसवाईएल का मामला माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा हरियाणा के पक्ष में करने के बाद भी पंजाब सरकार द्वारा एसवाईएल नहर के लिए एक्वायर की गई जमीन किसानों को वापिस देने व अन्य तकनीकी कारणों के चलते लटका हुआ है। मंच के अध्यक्ष जितेंद्? नाथ ?? एडवोकेट ने भिवानी में पत्रकार वार्ता के दौरान दावा किया कि वर्तमान में हरियाणा में एसवाईएल का पानी भाखड़ा डैम से 156 का रास्ता तय करके पंजाब के रास्ते से हरियाणा के अम्बाला में स्थित जनसुई हैड में प्रस्तावित है।

पंजाब राज्य द्वारा एसवाईएल के लिए अलॉट की गई जमीन किसानों को वापिस देने के बाद एसवाईएल हिमाचल मार्ग मंच ने इस नहर के लिए एक नए रास्ते का सुझाव दिया है। यह नया रास्ता हिमाचल के भाखड़ा डैम से होते हुए हिमाचल के तलवाड़ा-नेला-बद्दी होते हुए हरियाणा के पिंजौर में प्रवेश करेगी, जहां से अम्बाला के जनसुई हैड तक पहुंचने में कुछ 67 किलोमीटर तक का रास्ता तय करना पड़ेगा।

जनसुई हैड से इसके पानी को सरसा ब्रांच, करनाल के जमुना डब्ल्यूजेसी ब्रांच व अन्य सहायक नहरों के माध्यम से पूरे प्रदेश में वितरित किया जा सकेगा। इस नए रास्ते से पंजाब के विरोध करने की समस्या का समाधान होगा वहीं प्रदेश के किसानों को उनके हक का पानी भी मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा के लोगों को जागरूक करने के लिए एसवाईएल हिमाचल मार्ग मंच 20 जनवरी से रथ के माध्यम से लोगों को जागरूक करके इस रास्ते से नहरी पानी लाने के लिए जनमत भी तैयार करेगा।


मंच ने दावा किया कि नंगल डैम व भाखड़ा डैम पर काम करके रिटायर्ड हो चुके है, और का करने वाले वाले उच्च अधिकारियों को भी मंच में शामिल किया गया है तथा इन्ही की मदद व मंच ने खुद सर्वे करके इन सब बातों का पता लगाया है तथा हिमाचल के माध्यम से एसवाईएल का पानी हरियाणा में लाने का खाका तैयार किया है तथा इसको लेकर मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के अलावा प्रदेश के सांसदों व विधायकों को भी पत्र लिखा जा चुका है, जिस पर अभी तक कोई भी जवाब किसी भी पक्ष की तरफ से नहीं दिया गया है।



रेतीले क्षेत्र भिवानी, रेेवाड़ी, महेंद्रगढ़, मेवात, दादरी, गुडग़ांव जिलों को होगा सीधा लाभ
उन्होंने बताया कि भौगोलिक दृष्टि से देखें तो हिमाचल के रास्ते हरियाणा में पानी लाए जाने की दूरी भी लगभग आधी रह जाएगी। अभी पंजाब से यह दूरी करीब 127 किलोमीटर पड़ती है वही भाखड़ा नंगल डैम से वाया हिमाचल प्रदेश हरियाणा बॉर्डर केवल 67 किलोमीटर की दूरी पर है। उन्होंने बताया कि नंगल डैम से हरियाणा के जनसुई हैड तक डाउनस्ट्रीम भी हरियाणा के लिए फेवरेबल है। समुद्रतल से भाखड़ा डैम की ऊंचाई 518.16 मीटर है। जबकि नालागढ़ 372, कौशल्या डैम 364, अंबाला 264 और जनसुई हैड समुद्र तल से 241 मीटर पर स्थित है। अगर हिमाचल के रास्ते पानी लाया जाता है तो सरकार को ज्यादा खर्च भी वहन नहीं करना पड़ेगा। इससे दक्षिण हरियाणा के लगभग बंजर हो चुके क्षेत्र की जमीन सिंचित हो सकेगी। इससे दक्षिण हरियाणा के रेतीले क्षेत्र भिवानी, रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, मेवात, दादरी, गुडग़ांव जिलों को सीधा लाभ होगा।

एसवाईएल के पानी लाने का एकमात्र विकल्प हिमाचल का रास्ता ही
उन्होंने कहा कि यहां यह भी बताना जरूरी है कि पंजाब सरकार द्वारा वर्ष 1985 में उप्पल कमेटी का गठन किया था, जिसमें एसवाईएल को शिवालिक (हिमाचल प्रदेश) से निकालने का सुझाव दिया था,जिसे तत्कालीन सरकार के सभी विधायकों, मंत्रियों, सांसदों तथा भारतीय किसान यूनियन सहित अनेक संगठनों ने इसका समर्थन किया था। लेकिन बाद में राजनीतिक स्वार्थ के चलते प्रकाश सिंह बादल ने इसे साफ तौर पर इंकार कर दिया। जबकि पंजाब के किसान हिमाचल के रास्ते नहर चाहते थे।

इसी प्रकार पंजाब सरकार ने आनंदपुर हाइडल चैनल अपने कब्जे में ले लिया,जिससे कि बिजली और पानी पंजाब प्रयोग कर रहा है। इसी प्रकार जमीन वापिस देने के निर्णय से पंजाब को फायदा हुआ है। यदि हरियाणा सरकार कानून मंत्री इस मामले को गंभीरता से लेते तो यह स्टे किसी भी सूरत में नहीं होता और जमीन वापिस नहीं की जा सकती थी। उन्होंने दावा किया कि अब इसका एकमात्र विकल्प हिमाचल के रास्ते ही एसवाईएल लाना है। गौरतलब है कि एसवाईएल को लेकर मंच द्वारा सुझाया गया नया रास्ता राजनीतिक दलों के लिए कान खड़े करने वाला है।

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