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एक कमरे के फेर में 3.5 हजार मरीजों के खर्च हो गए डेढ़ करोड़

locationभोपालPublished: Apr 12, 2019 08:52:32 pm

Submitted by:

Rohit verma

साल भर से डिब्बे में बंद हैं पांच डायलिसिस मशीनें, अस्पताल प्रबंधन एक साल में अलग कमरे की व्यवस्था तक नहीं कर पाया
 

hamidiya hospital bhopal

एक कमरे के फेर में 3.5 हजार मरीजों के खर्च हो गए डेढ़ करोड़

भोपाल. छोटी सी लापरवाही कभी-कभी इतनी भारी पड़ती है कि इसकी भरपाई भी नहीं हो सकती। इसकी नजीर है हमीदिया अस्पताल की डायलिसिस यूनिट। यहां महज एक कमरे के नहीं होने से बीते एक साल में करीब 3.5 हजार मरीजों को डायलिसिस के लिए करीब ढेड़ करोड़ रुपए खर्च करने पड़े। इसके बावजूद प्रबंधन इन मरीजों की सुध नहीं ले रहा। दरअसल हमीदिया अस्पताल में करीब 30 लाख की पांच डायलिसिस मशीनें पिछले एक साल से डिब्बे में बंद हैं। इन मशीनों को इंस्टॉल करने के लिए मौजूदा यूनिट में जगह नहीं है।

एक साल से इन मशीनों को दूसरे कमरे में शिफ्ट करने की कवायद चल रही है। प्रबंधन ही ढीलपोल का नतीजा है कि मरीजों को निजी अस्पतालों में डायलिसिस कराने को मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले एक साल में हमीदिया अस्पताल के लिए करीब 40 करोड़ रुपए के उपकरण, फर्नीचर व अन्य सामान खरीदे गए, लेकिन नया डायलिसिस यूनिट के उन्नयन का प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।

तो बच जाते मरीजों के 1.5 करोड़
यह दस मशीनें समय पर काम करने लगती तो मरीजों को लाभ होता। पांच मशीनों से एक दिन में न्यूनतम 10 मरीजों की डायलिसिस की जाती। इस हिसाब से एक साल में इन मशीनों से 3.5 हजार मरीजों की डायलिसिस हो जाती। अस्पताल में सुविधा ना होने से यह मरीज निजी अस्पताल गए, जहां प्रति डायलिसिस 3000 रुपए लिए जाते हैं। हिसाब लगाया जाए तो 3.5 हजार मरीज अब तक 1.5 करोड़ रुपए की डायलिसिस करा चुके हैं, जबकि हमीदिया में यह नि:शुल्क हो जाती।

पानी की कमी भी बड़ी समस्या

हमीदिया अस्पताल में मशीनों से आरओ के पानी से किडनी मरीजों का खून साफ किया किया जाता है। अभी जो आरओ प्लांट लगा है, उसकी क्षमता 500 मिली/ प्रति घंटे है। 8 मरीजों के लिए 1 हजार मिली/घंटा की क्षमता वाला आरओ प्लांट होना चाहिए।

 

क्या है सच
कुल डायलिसिस मशीनें 08
रोजाना डायलिसस: 20 मरीजों की
एक मरीज पर पानी का खर्च :300 लीटर
अभी आरओ यूनिट की क्षमता : 500 मिली/ प्रति घंटा
आरओ यूनिट की जरूरत: 2000

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