फोन खरीदी के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन ने अप्रैल में टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी, लेकिन शासन ने अब तक कोई निर्णय नहीं लिया। इसके कारण फोन खरीदी नहीं हो पाई है। एचसीएल कंपनी को फोन सप्लाई करने का टेंडर मिला है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक्स डेवलपमेंट कार्पोरेशन प्रबंधन का कहना है कि जब तक शासन का अनुमोदन नहीं मिलेगा, कंपनी को वर्क ऑर्डर नहीं दिया जा सकता है। इधर, उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि फोन खरीदी के लिए कैबिनेट से मंजूरी लेनी होगी।
तीन महीने तक टेबलों पर पड़ी रही फाइल
एसइडीसी ने एल-1 आने वाली कंपनी और टेंडर प्रक्रिया की पूरी फाइल विभाग को करीब तीन महीने पहले भेज दी थी, ताकि अनुमोदन दिया जा सके, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग के अफसरों की टेबलों पर यह फाइल तीन महीने तक पड़ी रही। इधर, करीब 25 दिन से अब यह फाइल वल्लभ भवन के अफसरों की टेबल पर पड़ी हुई है। अब अफसर खुद को बचाने के लिए कैबिनेट की मंजूरी की तैयारी कर रहे हैं, लेकिन अब संभवत: एक या दो ही कैबिनेट की बैठकें हो सकती है। यदि इनमें अनुमोदन नहीं मिला तो फोन वितरण तो दूर, खरीदी ही अटक सकती है।
बजट नहीं, खरीदी के लिए चाहिए करोड़ों रुपए
करीब 1 लाख 75 हजार स्मार्ट फोन खरीदे जाना है। इस पर करोड़ों रुपए खर्च होगा। यदि शासन से अनुमोदन मिल भी जाता है तो बजट के अभाव में फोन खरीदी अटक सकती है। विभाग के पास पर्याप्त बजट भी नहीं है।
प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है
स्मार्ट फोन खरीदी का प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा है। अभी अनुमोदन आना है। अनुमोदन आने के बाद हम आगे की कार्रवाई करेंगे। फोन वितरण पर आचार संहिता में रोक लगेगी या नहीं अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है।
अजीत कुमार, आयुक्त, उच्च शिक्षा
हमने टेंडर प्रक्रिया पूरी करके फाइल उच्च शिक्षा विभाग को भेज दी है। जब तक उनका अनुमोदन नहीं आता, तब तक कुछ नहीं किया जा सकता। हमारे पास उच्च शिक्षा विभाग से कंफरमेशन भी नहीं आई। जब तक विभाग की सहमति नहीं मिलती हैं, वर्क ऑर्डर नहीं दिया जा सकता है। विभाग के अनुमोदन के बाद ही आगे की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
विमल एस. अरोरा, डीजीएम, एसइडीसी