इस योजना का उद्देश्य युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत कर उन्हें राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करना है। भारतीय सेना के जवान किस तरह विपरीत और कठिन परिस्थितियों में देश की सेवा करते हैं, युवाओं को यह देखने-समझने के लिए देश की बार्डरों पर भेजा जाता है। जिससे वह इस क्षेत्र में भी अपनी सेवाएं दे पाएं।
10 जून 2013 में हुई थी योजना की शुरुआत
योजना प्रभारी अधिकारी ओपी हारोड़ ने बताया कि ‘मां तुझे प्रणामÓ योजना की शुरुआत 10 जून 2013 से की गई थी। पांच सालों में इस योजना के तहत अभी तक 10 हजार 500 से अधिक युवाओं को अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की अनुभव यात्रा कराई जा चुकी है। यात्रा में एनसीसी, एनएसएस, खेल, एजुकेशन और समाजिक क्षेत्र में कार्य करने वाले युवा ही शामिल होते हैं।
एक साल में जाता है 2600 युवाओं का दल
इस योजना के तहत हर साल लगभग 2600 युवाओं का दल अंतरराष्ट्रीय सीमाओं की अनुभव यात्रा के लिए जाता है। जिसके लिए एक ट्रिप में 72 युवाओं का दल होता हैं। हर दल में पांच अधिकारी होते हैं, जिनकी जिम्मेदारी इस यात्रा को सफल बनाना होता है। इसमें लगभग पांच लाख का खर्चा आता है, जिसका वहन सरकार करती है। इस यात्रा की शुरुआत भोपाल के टीटी नगर स्टेडियम से की जाती है।
महीने में चार दल होता हैं रवाना
इस योजना में हर महीने चार दल रवाना होते हैं। जिसमें एक दल में पुरुष या महिलाएं ही शामिल होती हैं। इन युवाओं को इस यात्रा के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता। यात्रा के लिए युवाओं का चयन कलेक्टर, एसपी, डीएसओ और समन्वयक नेहरू युवा केंद्र की कमेटी करती है।
इन अंतराष्ट्रीय सीमाओं को लिया अनुभव
बाघा बॉर्डर, बाड़मेर राजस्थान, बीकानेर राजस्थान, आरएसपुरा बॉर्डर जम्मू-कश्मीर, तलोट माता जेशलमेर, कोच्चि, कारगिल, जयगांव भूटान, नाथुला दर्रा सिक्किम, पश्चिम बंगाल, तुरा मेघालय।
युवाओं में देशभक्ति की भावना जागृत कर उन्हें राष्ट्रसेवा के लिए प्रेरित करने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। जिससे अभी तक दस हजार से ज्यादा युवाओं ने भाग लिया है।
-डॉ. एसएल थॉउसेन, डायरेक्टर स्पोट्र्स