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पुरानी केबल पर लगा दी सेंसिटिव एलइडी, 19 में से 10 हजार खराब

locationभोपालPublished: Jul 23, 2018 07:27:21 am

Submitted by:

Bharat pandey

स्मार्ट लाइट: राजधानी की कॉलोनियां अंधेरे में, कंपनी नहीं कर रही सुधार

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10 thousand Sensitive LEDs bad

भोपाल। राजधानी में स्मार्ट स्ट्रीट लाइटें सप्ताह भर भी नहीं चल पा रही हैं। कॉलोनियों की 10 हजार लाइटें खराब हो चुकी हैं। स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन तक रोजाना 50 से ज्यादा शिकायतें पहुंच रही हैं। ठेका कंपनी एचपीएल 10 से 12 दिन तक लाइटें नहीं सुधरवा रही है।

एचपीएल ने शहर के 10 मार्गों व 50 से अधिक कॉलोनियों में 20 में से 19 हजार लाइटें लगाने का दावा किया है। कंपनी 15 साल तक रख-रखाव करेगी। बीआरटीएस, साकेत नगर, एम्स, कटारा व आगे तक बंद पड़ी स्मार्ट लाइट्स पर रहवासी आशीष अवस्थी ने 12 जुलाई को शिकायत दर्ज कराई थी। इसका नंबर 64823 था, पर 10 दिन बाद भी सुनवाई नहीं हुई। उधर, कोलार रोड पर 60 प्रतिशत लाइटें बंद पड़ी हैं। रहवासी अंजनी पांडेय ने नगर निगम के कॉल सेंटर 155304 पर शिकायत की। दर्ज करने के बजाय कहा गया कि स्मार्ट सिटी को शिकायत करें।

कम-ज्यादा वॉल्टेज नहीं कर पा रहीं सहन
स्मार्ट लाइट में 240 वॉट की एलइडी सेंसिटिव होती है। इसके लिए एचपीएल को अलग से केबल बिछानी थी, लेकिन उसने नगर निगम की पुरानी केबल पर ही लाइटें लगा दीं। सोडियम वैपर लैंप और ट्यूबलाइट तो लो व हाई वॉल्टेज को सहन कर लेती थी, लेकिन सेंसिटिव एलइडी इससे खराब हो रही है। वॉल्टेज कई बार 300 वॉट तो कई बार 150 वॉट हो जाता है।

 

कंपनी की सफाई, लैब में गुणवत्ता मिली बेहतर
एचपीएल कंपनी का दावा है कि सेंसटिव एलइडी लाइट्स की जांच अहमदाबाद की लैब में कराई है। कंपनी के अनुसार इनकी गुणवत्ता अच्छी पाई गई।


बाकी 40 हजार लाइट्स ठेके पर देने की कवायद
नगरीय प्रशासन विभाग बाकी 40 हजार लाइट्स रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के तहत निजी एजेंसी से लगवाएगा। इसमें भी बिल कम होने का लाभ ठेकेदार को मिलेगा।

 

कंपनी के जिम्मेदार दे रहे गोलमोल जवाब
स्मार्ट सिटी कॉर्पोरेशन एचपीएल कंपनी को रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के तहत पुराने बिजली बिल के आधार पर भुगतान करेगा। बिजली बिल कम आएगा तो मुनाफा कंपनी को जाएगा। एचपीएल के असिस्टेंट मैनेजर संजय कुमार का कहना है कि कोलार में केबल फॉल्ट के कारण लाइट बंद हैं। बाकी जगह के बारे में नहीं बता सकते। मेंटेनेंस प्रभारी शिवम त्रिपाठी का कहना है कि वॉल्टेज की गड़बड़ी से दिक्कत होती है। पूरी लाइट कंपनी की केबल पर होगी तो सब ठीक हो जाएगा। कंपनी के क्षेत्रीय मैनेजर संतोष कुमार बग्गा ने मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।

 

अलग केबल जरूरी है
मैनिट में इलेक्ट्रिकल विभाग की प्रो. तृप्ता ठाकुर का कहना है कि इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए अलग से केबल बिछाई जानी थी। एलइडी लाइट्स सेंसिटिव होती हैं।

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