जानकारों का मानना है कि 108 के पहिये थम जाने से कई जानें आफत में पड़ सख्त है। फिलहाल कर्मचारियों के इस रुख के चलते हड़ताल के कारण मरीजों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है। माना जा रहा है कि इससे पूरे प्रदेश में एंबुलेंस सेवा चरमरा जाएगी। वहीं कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से मरीजों और उनके परिजनों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
सूत्रों के अनुसार हड़ताल के चलते प्रदेश भर में कई एंबुलेंस खड़ी हैं। ऐसे में उन जिलों में मरीजों को ज्यादा दिक्कत हो रही है, जहां दो-तीन गाड़ियां ही हैं और वह भी बंद हैं।
पहले भी कर चुके हैं हड़ताल :-
इससे पहले भी अप्रैल में ‘108 एंबुलेंस’ वाहनों के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण मरीजों की मुसीबत बढ़ गई थी। इस दौरान भी कर्मचारी वेतन संबंधी मांग को लेकर हड़ताल पर गए। वहीं इन हालातों से निपटने के लिए सरकार ने वैकल्पिक इंतजाम करने पड़े।
इससे पहले भी अप्रैल में ‘108 एंबुलेंस’ वाहनों के कर्मचारियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण मरीजों की मुसीबत बढ़ गई थी। इस दौरान भी कर्मचारी वेतन संबंधी मांग को लेकर हड़ताल पर गए। वहीं इन हालातों से निपटने के लिए सरकार ने वैकल्पिक इंतजाम करने पड़े।
पूर्व में हुई इस हड़ताल के समय संघ के मीडिया प्रभारी असलम खान ने बताया था कि उनसे आठ घंटे के बजाय 12 घंटे काम कराया जाता है और आठ घंटे का भी वेतन नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा, “एंबुलेंस कर्मियों को आठ घंटे के बदले 12 घंटे काम कराकर नौ से 11 हजार रुपये महिना दिया जाता है, जबकि दूसरे राज्यों के कर्मचारियों को 16 से 19 हजार रुपये प्रतिमाह मिल रहे हैं।”
प्रदेश में जिगित्सा हेल्थ केयर कंपनी द्वारा 108 एंबुलेस सेवा का संचालन किया जाता है। पूर्व में हड़ताल के चलते मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा था, क्योंकि गंभीर मरीज गांव और कस्बों से अस्पतालों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था की थी