इसलिए एक दिन ज्यादा मनेगा उत्सव पं. प्रहलाद पंड्या के अनुसार आमतौर पर कई बार तिथियां बढ़ जाती हैं। एेसा इसलिए होता है कि कई बार तिथि सूर्योदय के पहले ही आ जाती है और अगले दिन सूर्योदय के बाद तक भी विद्यमान रहती है, इस स्थिति में दो दिन एक ही तिथि मान्य की जाती है। इस बार दशमी तिथि को लेकर भी इसी तरह की स्थिति बनी हैं।
रवि योग में शुरू होगा गणेशोत्सव
गणेश उत्सव की शुरुआत रवि योग में होगी। पं. जगदीश शर्मा का कहना है कि गणेश चतुर्थी का दिन काफी शुभ माना जाता है और इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए विशेष शुभ होता है।
गणेश उत्सव की शुरुआत रवि योग में होगी। पं. जगदीश शर्मा का कहना है कि गणेश चतुर्थी का दिन काफी शुभ माना जाता है और इस दिन सभी प्रकार के शुभ कार्यों के लिए विशेष शुभ होता है।
नवीन व्यापार शुरू करने, खरीदारी आदि के लिए भी यह दिन विशेष शुभ माना गया हैं। इस बार गणेश उत्सव के दौरान भी कई शुभ संयोग मौजूद रहेंगे। हर सााल की तरह इस साल भी समितियों ने अपने-अपने स्तर पर गणेशोत्सव की तैयारियां शुरू कर दी है।
ऐसे करें श्रीगणेश को प्रसन्न:
भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता है और समस्त सुखों को प्रदान करने वाले हैं। उनकी स्तुति साधकों की हर मनोकामना पूरी तरह देती है। गणेशजी को खुश करना बहुत ही आसान है। जैसे भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष सामग्री और विधि की जरूरत नहीं होती है उसी प्रकार माता पार्वती और शिव पुत्र गणेश को खुश करना भी सरल है। जो भक्त इनके प्रति जितनी श्रद्धा रखता है गणेश जी उस पर उतने ही कृपालु बने रहते हैं। शास्त्रों में गणेश जी को खुश करके उनसे झट मनोकामना पूरी करवाने के कुछ उपाय बताए गये हैं।
भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता है और समस्त सुखों को प्रदान करने वाले हैं। उनकी स्तुति साधकों की हर मनोकामना पूरी तरह देती है। गणेशजी को खुश करना बहुत ही आसान है। जैसे भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष सामग्री और विधि की जरूरत नहीं होती है उसी प्रकार माता पार्वती और शिव पुत्र गणेश को खुश करना भी सरल है। जो भक्त इनके प्रति जितनी श्रद्धा रखता है गणेश जी उस पर उतने ही कृपालु बने रहते हैं। शास्त्रों में गणेश जी को खुश करके उनसे झट मनोकामना पूरी करवाने के कुछ उपाय बताए गये हैं।
दूर्वा– गणेश जी को खुश करने का सबसे सस्ता और आसान उपाय है दूर्वा से गणेश जी की पूजा करना। दूर्वा गणेश जी को इसलिए प्रिय है क्योंकि दूर्वा में अमृत मौजूद होता है। गणपति अथर्वशीर्ष में कहा गया गया है कि जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा दुर्वांकुर से करता है वह कुबेर के समान हो जाता है। कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष हैं। कुबेर के समान होने का मतलब है व्यक्ति के पास धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है।
मोदक– गणेश जी को प्रसन्न करने का दूसरा सरल तरीका है मोदक का भोग। गणपति अथर्वशीर्ष में लिखा है कि जो व्यक्ति गणेश जी को मोदक का भोग लगाता है गणपति उनका मंगल करते हैं।
मोदक का भोग लगाने वाले की मनोकामना पूरी होती है। शास्त्रों में मोदक की तुलना ब्रह्म से की गयी है। मोदक भी अमृत मिश्रित माना गया है। घी— पंचामृत में एक अमृत घी होता है। घी को पुाqष्टवर्धक और रोगनाशक कहा जाता है। भगवान गणेश को घी काफी पसंद है। गणपति अथर्वशीर्ष में घी से गणेश की पूजा का बड़ा महात्म्य बताया गया है। जो व्यक्ति गणेश जी की पूजा घी से करता है उसकी बुद्धि प्रखर होती है। घी से गणेश की पूजा करने वाला व्यक्ति अपनी योग्यता और ज्ञान से संसार में सब कुछ हासिल कर लेता है।