script11 प्रोड्यूसर ने आइडिया को कर दिया था रिजेक्ट, पॉकेट मनी से बनाई शॉर्ट फिल्म, जीता नेशनल अवॉर्ड | 11 producers rejected Idea, made film with pocket money, won award | Patrika News

11 प्रोड्यूसर ने आइडिया को कर दिया था रिजेक्ट, पॉकेट मनी से बनाई शॉर्ट फिल्म, जीता नेशनल अवॉर्ड

locationभोपालPublished: Dec 14, 2019 12:08:48 pm

Submitted by:

hitesh sharma

शहर के आर्टिस्ट संदीप साहू की फिल्म वाटरमैन को मिला राष्ट्रीय पुरस्कार

11 प्रोड्यूसर ने आइडिया को कर दिया था रिजेक्ट, पॉकेट मनी से बनाई शॉर्ट फिल्म, जीता नेशनल अवॉर्ड

11 प्रोड्यूसर ने आइडिया को कर दिया था रिजेक्ट, पॉकेट मनी से बनाई शॉर्ट फिल्म, जीता नेशनल अवॉर्ड

भोपाल। शहर के थिएटर आर्टिस्ट संदीप साहू की शॉर्ट फिल्म वाटरमैन को मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायर्नमेंट एंड कल्चर, नई दिल्ली की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। डेढ़ मिनट की इस फिल्म में पानी बचाने का संदेश दिया गया है। इस फिल्म को अंशुल सिन्हा ने डायरेक्ट किया है। संदीप ने बताया कि इस फिल्म में मैंने पानी की भूमिका निभाई थी। इसमें मैं मुंह में नल लिए नजर आता हूं। इसमें दिखाया गया है कि लोग काम करते समय काफी पानी व्यर्थ बहा देते हैं। हमारे देश के कई इलाकों में पानी की भारी किल्लत है लेकिन अब भी हम पानी बचाने को लेकर अवेयर नहीं है। हम छोटे-छोटे कामों में भी सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं। यदि कोई हमें टोकता है तो भी हमें अच्छा नहीं लगता।

38 नॉमिनेशन, 8 अवॉर्ड मिले

संदीप ने बताया कि इस फिल्म को बनाने के लिए हमने 11 प्रोड्यूसरों संपर्क किया था। सभी ने इस आइडिया को रिजेक्ट कर दिया। उनका कहना था कि डेढ़ मिनट में कोई संदेश नहीं दिया जा सकता। हमने हार नहीं मानी और खुद की पॉकेटमनी से करीब 50 हजार बचाकर फिल्म बनाई। इस डॉक्यूमेंट्री को 38 इंटरनेशनल नॉमिनेशन और 8 अवॉर्ड हासिल कर चुकी है। राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए इसका चयन 370 फिल्मों में से हुआ।

इससे पहले तेलांगना सरकार की ओर से मिली स्पांसरशिप के तहत फिल्म सर्बिया में हुए ग्रीन फेस्ट में गई थी। वहां भी इसे चौथा स्थान मिला था। छत्तीसगढ़ और हैदराबाद में थिएटर में पढ़ाई करने के बाद इन दिनों हैदराबाद में साउथ की फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं। संदीप ने बताया कि इस फिल्म में हमने कहीं भी वीएफएक्स का इस्तेमाल नहीं किया है। इस डॉक्यूमेंट्री को हमें बनाने में 4 महीने का समय लगा। मैंने इस डॉक्यूमेंट्री के लिए एक माह तक तैयार की। मैं हर एक टेक में एक जग पानी गले में रखता और जीभ से उसे बाहर करता था, जो नल के माध्यम से बाहर आता था। इस फिल्म में कोई संवाद नहीं है, इसलिए इसे अलग-अलग देशों में पसंद किया जा रहा है।

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