38 नॉमिनेशन, 8 अवॉर्ड मिले
संदीप ने बताया कि इस फिल्म को बनाने के लिए हमने 11 प्रोड्यूसरों संपर्क किया था। सभी ने इस आइडिया को रिजेक्ट कर दिया। उनका कहना था कि डेढ़ मिनट में कोई संदेश नहीं दिया जा सकता। हमने हार नहीं मानी और खुद की पॉकेटमनी से करीब 50 हजार बचाकर फिल्म बनाई। इस डॉक्यूमेंट्री को 38 इंटरनेशनल नॉमिनेशन और 8 अवॉर्ड हासिल कर चुकी है। राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए इसका चयन 370 फिल्मों में से हुआ।
इससे पहले तेलांगना सरकार की ओर से मिली स्पांसरशिप के तहत फिल्म सर्बिया में हुए ग्रीन फेस्ट में गई थी। वहां भी इसे चौथा स्थान मिला था। छत्तीसगढ़ और हैदराबाद में थिएटर में पढ़ाई करने के बाद इन दिनों हैदराबाद में साउथ की फिल्मों में अभिनय कर रहे हैं। संदीप ने बताया कि इस फिल्म में हमने कहीं भी वीएफएक्स का इस्तेमाल नहीं किया है। इस डॉक्यूमेंट्री को हमें बनाने में 4 महीने का समय लगा। मैंने इस डॉक्यूमेंट्री के लिए एक माह तक तैयार की। मैं हर एक टेक में एक जग पानी गले में रखता और जीभ से उसे बाहर करता था, जो नल के माध्यम से बाहर आता था। इस फिल्म में कोई संवाद नहीं है, इसलिए इसे अलग-अलग देशों में पसंद किया जा रहा है।