अनुमान है कि अगस्त के पहले सप्ताह तक नाम पर मुहर लग जाएगी। बीयू में कुलपति बनने के लिए देशभर से 118 आवेदन आए हंैं। इस पद के लिए जो मुख्य अहर्ताएं हैं, उनके कारण आवेदकों में से अधिकतर दौड़ से बाहर हो गए हैं। यूजीसी द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार 10 साल तक प्रोफेसर के पद पर अध्यापन का अनुभव अनिवार्य है।
इसके साथ ही प्रोफेसर का एकेडमिक ग्रेड पे (एजीपी) भी 10 हजार रुपए होना चाहिए। बरकतउल्ला विवि में कुलपति बनने के लिए प्रदेश के कई विश्वविद्यालयों के वर्तमान कुलपति भी आवेदक हैं। इनमें कई ऐसे हैं, जिनका या तो एजीपी 10 हजार नहीं हैं या फिर उन्हें प्रोफेसर के पद पर पढ़ाने का दस साल का अनुभव नहीं है। ऐसे में सर्च कमेटी की भूमिका निर्णायक हो जाएगी। उसे सभी आवेदकों के अनुभव और दस्तावेजों की छानबीन के बाद ही नाम तय करने होंगे।
एचबीटीयू के वीसी की नियुक्ति की गई रद्द
बटलर टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एचबीटीयू) के कुलपति प्रो. एमजेड खान को दस साल प्रोफेसर पद पर अध्यापन नहीं होने के कारण पद से हटा दिया गया। सुप्रीेम कोर्ट के आदेश के बाद यह कार्रवाई की गई। संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. आरपी सिंह ने कुलपति प्रो.खान की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। सुनवाई के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नियुक्ति रद्द कर दी थी। हाईकोर्ट के फैसले को प्रो. एमजेड खान ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
जीवाजी विवि का प्रकरण भी कोर्ट में
जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला की नियुक्ति को वहीं के प्रो. एपीएस चौहान ने हाइकोर्ट में चुनौती दी। आरोप है कि प्रो. आशा शुक्ला को कुलपति बनाते वक्त उनका प्रोफेसर के पद पर पढ़ाने का अनुभव मात्र 06 वर्ष था। वहीं प्रोफेसर एपीएस चौहान उनसे कहीं अधिक सीनियर हैं और यूजीसी की सारी अहर्ताओं को पूरा भी करते हैं।