होशंगाबाद रोड स्थित नारायण नगर निवासी जुगल किशोर दास (61) वन विभाग में रेंजर थे। वे पिछले साल ही रिटायर हुए थे। रिटायरमेंट के बाद इनके खाते में पीएफ का रुपया आया था। रविवार दोपहर करीब तीन बजे उनके पास एक युवक का फोन आया।
युवक ने बताया कि वह बैंक से बोल रहा है। आपका एटीएम कार्ड ब्लॉक हो गया। उसे री-ओपन करना है। इसके लिए आप कुछ जानकारी दीजिए। इस पर उन्होंने अपना एटीएम नंबर, मोबाइल नंबर और एटीएम कार्ड के पीछे लिखा सीवीवी नंबर दे दिया। इसके बाद युवक ने इनके पास आए ओटीपी का नंबर पूछा।
ओटीपी पूछकर इन लोगों ने रिटायर्ड रेंजर के खाते से रुपए निकाल लिए। अलग-अलग बहाने बनाकर ठग उन्हें दोपहर तीन बजे से शाम 7 बजे तक फोन करते रहे। इस दौरान दास के पास 13 बार ओटीपी नंबर आया और वे हर बार ओटीपी नंबर बताते गए। रात करीब आठ बजे जब इन्होंने अपना मोबाइल देखा तो पता चला कि इनके खाते से 1.23 लाख रुपए कम हैं। इस पर उन्हें ठगी का एहसास हुआ। सुबह वो बैंक गए और अपना एटीएम कार्ड ब्लॉक कराया।
कल सुबह फिर फोन करेंगे
रिटायर्ड रेंजर दास ने बताया कि वो लोग मुझे बार-बार फोन कर रहे थे। कभी मोबाइल बंद होने तो कभी नेटवर्क नहीं होने का कह रहे थे। मैं उनकी बातों में आ गया और बार-बार उन्हें ओटीपी देता रहा। आखिरी में उन्होंने मुझसे कहा कि कुछ काम बचा है कल सुबह आपको फिर कॉल करेंगे, आप इसी तरह ओटीपी बताते रहेंगे तो आपका काम जल्दी हो जाएगा।
सबसे ज्यादा ओटीपी से होता है फ्रॉड
साइबर फ्रॉड में सबसे ज्यादा मामले एटीएम और बैंकिंग फ्रॉड के सामने आ रहे हैं। सायबर सेल को वर्ष 2017 में कुल 2318 शिकायतें मिली जिसमें सबसे ज्यादा 1356 शिकायतें एटीएम, ओटीपी, क्रेडिट कार्ड ठगी की रहीं। साइबर पुलिस के पास सबसे ज्यादा ओटीपी फ्रॉड के मामले आते हैं। ये लोग दिल्ली, बिहार, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल से बैठकर गिरोह चलाते हैं।
साइबर पुलिस और बैंक लगातार करते हैं अलर्ट
मोबाइल पर ओटीपी पूछकर ठगी करने वाले कई गिरोह सक्रिय हैं। साइबर पुलिस इस संदर्भ में कई बार अलर्ट कर चुकी है कि लोग जागरूक रहें। साइबर पुलिस के मुताबिक बैंक खाते की जानकारी, एटीएम, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, ओटीपी, सीवीवी नंबर और जन्मतिथि किसी अनजान शख्स को ना बताएं।