रूफ टॉप वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम ने दिसंबर 2009 से रिफंडेबल फीस जमा कराने की योजना है। फिर भी डेढ़ सौ लोगों ने राशि वापस ली। राजधानी में कुल साढ़े चार लाख घरों में से 15 हजार ने ही घरों की छत पर पानी सहेजने का सिस्टम लगाया। शहर में औसतन 1100 सेंमी बारिश होती है। सिस्टम लगाकर इसका 50 फीसदी यानी साढ़े पांच सौ सेंटीमीटर पानी जमीन में उतार कर भू-जलस्तर बढ़ाया जा सकता है।
दिसंबर 2009 में तत्कालीन आयुक्त ने रूफ वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ाने के लिए स्थाई आदेश जारी किया था, जो अब तक लागू है। इसके तहत भवन अनुज्ञा के साथ रूफ वाटर हार्वेस्टिंग मद में रिफंडेबल फीस जमा कराई जाती है। ये भूखंड के आकार के आधार पर 7000 से 15000 रुपए तक बनती है।
सिस्टम लगाने के बाद भवन अनुज्ञा लेने वाला निगम से ये राशि वापस ले सकता है, लेकिन 90 फीसदी लोग राशि वापस लेने में रुचि नहीं लेते। निगम भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहा। मप्र भूमि विकास नियम 2012 की धारा 73 के तहत 1500 वर्गफीट या इससे बड़ी छत पर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनिवार्य है।
एक हजार वर्गफीट वाले आवास में चार सदस्यों के परिवार के आधार पर प्रति सदस्य रोजाना १५० लीटर पानी लगता है। एक साल में पूरे परिवार की जरूरत करीब दो लाख लीटर पानी से पूरी हो जाती है। १००० वर्गफीट की छत पर रूफ वाटर हार्वेस्टिंग एक साल में एक लाख लीटर पानी जमीन में उतारकर बोरिंग को रिचार्ज कर सकता है। उसकी आधी जरूरत पूरी हो जाएगी।
एक इंच बारिश में 1000 वर्गफीट की छत 1000 लीटर पानी बहाती है। रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से इस पानी को जमीन में उतार कर पानी की रिचार्जिंग की जा सकती है। शहर के साढ़े चार लाख मकान में 1000 वर्गफीट की छत का ही औसत लें तो एक इंच बारिश में ४५ करोड़ लीटर पानी बह जाता है। यदि औसत बारिश 100 सेमी है तो 1000 वर्गफीट की छत से एक लाख लीटर पानी जमीन में उतारा जा सकता है।
– आलोक शर्मा, महापौर
10000200- 300 वर्गमीटर की छत
12000300-400 वर्गमीटर की छत
15000400 वर्गमीटर से अधिक की छत
1500 वर्गफीट या इससे अधिक आकार की छत वाले करीब डेढ़ लाख मकान शहर में है