पत्रिका ने जब बिजली कंपनी के दावों की पड़ताल की तो कहानी कुछ और ही निकली। शाहपुरा तालाब के पास प्रशासनिक अकादमी से बिल्कुल सटकर खड़ी डीपी यानी डबल पोल 2006 से झुके हुए हैं। इतनी राशि खर्च हो जाने के बावजूद भी इन्हें सीधा नहीं किया जा सका। जबकि शाहपुरा शहर के पॉश एरिया अरेरा कॉलोनी का हिस्सा है और यहां से तमाम आम और खास लोग गुजरते हैं। अब एेसे में अंदरूनी इलाकों में बिजली व्यवस्था, खंभों और ट्रांसफार्मर की स्थिति क्या होगी, समझी जा सकती है। बिजली कंपनी के एमडी डॉ. संजय गोयल जरूर सुधार होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। गौरतलब है कि दो दिन पहले आई आंधी और ओलों से शहर के 500 से अधिक क्षेत्रों की बिजली आपूर्ति कई घंटों तक प्रभावित रही थी। करीब 7 लाख लोगों को आठ घंटे से अधिक समय तक अंधेरे में रहना पड़ा था।
चार माह से चल रहा डेढ़ सौ करोड़ रुपए का काम
बिजली सुधार के लिए केंद्र सरकार की नई योजना इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम के तहत भोपाल में 23 अक्टूबर 2017 से जमीनी काम शुरू होने का दावा किया जा रहा है। केंद्र ने इस काम को 29 मार्च 2016 को मंजूरी दी थी।
भोपाल में इस तरह राशि खर्च करने का दावा
– 8.73 करोड़ रुपए नए सब स्टेशन बनाने के लिए
– 2.78 करोड़ रुपए नए 33/11 केवी सब स्टेशन विस्तार के लिए
– 6.25 करोड़ रुपए 33/11 केवी सब स्टेशनों की क्षमता विस्तार के लिए
– 1.49 करोड़ रुपए 33 केवी नए फीडर बनाने के लिए
– 4.44 करोड़ रुपए 33 केवी फीडर की रिकंडक्टरिंग करने के लिए
– 7.94 करोड़ रुपए 11 केवी नए फीडर बनाने के लिए
– 11.52 करोड़ रुपए 11 केवी फीडर की रिकंडक्टरिंग करने के लिए
– 9.82 करोड़ रुपए एरियल बंच केबल के लिए
– 10.14 करोड़ रुपए यूजी केबल्स के लिए
– 8.42 करोड़ रुपए नए डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर स्थापित करने के लिए
– 4.83 करोड़ रुपए डिस्ट्रीब्यूशन ट्रंासफार्मर की क्षमता वृद्धि करने के लिए
– 1.97 करोड़ रुपए फीडर पर डीटी मीटर लगाने
– 31.53 करोड़ रुपए अन्य काम के लिए
मध्यक्षेत्र कंपनी में 482.28 करोड़ रुपए के ये 14 प्रोजेक्ट
– 150.40 करोड़ रुपए भोपाल के लिए हैं
– 44.86 करोड़ रुपए भोपाल ओएंडएम यानी ग्रामीण क्षेत्रों के लिए
– 46.35 करोड़ रुपए ग्वालियर सर्कल
– 46.60 करोड़ रुपए ग्वालियर ओएंडएम सर्किल
– 31.64 करोड़ रुपए मुरैना
– 6.66 करोड़ रुपए बैतूल
– 35.86 करोड़ रुपए भिंड
– 18.56 करोड़ रुपए गुना
– 28.11 करोड़ रुपए होशंगाबाद
– 15.19 करोड़ रुपए राजगढ़
– 1.58 करोड़ रुपए सीहोर
– 11.13 करोड़ रुपए शिवपुरी
– 28.65 करोड़ रुपए विदिशा
सुधार में दस साल के दौरान खर्च किए 350 करोड़ रुपए
राजधानी में बिजली सुधार के नाम पर 2008 से अब तक कुल 350 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं। ये राशि केंद्र की आरएपीडीआरपी स्कीम के तहत मिली थी। उसमें भी यही काम बताए थे जो आईपीडीएस स्कीम के तहत बताए जा रहे हैं।
सरकार को बिजली पर खर्च की पूरी मॉनिटरिंग करनी चाहिए। कई बार इंजीनियर और कंपनी के अफसर मनमर्जी से राशि का उपयोग कर लेते हैं। जब तक उपभोक्ताओं को इसका लाभ नजर न आए, राशि नहीं देना चाहिए।
– केएस शर्मा, रिटायर्ड सीएस मप्र