एम्स के विशेषज्ञों ने तमाम जांचों के बाद बीमारी का नाम बताया और इलाज शुरू हुआ। रघुवंशी ने बताया कि डॉक्टरों ने जो दवाएं लिखी वे न तो भोपाल में मिली और न दिल्ली-मुंबई में। आखिरकार शुरूआत में एक दलाल के माध्यम से एक इंजेक्शन 55 हजार रूपए में मिला। इस पर कीमत 590 रूपए लिखी हुई थी। हालांकि अब 25 हजार रुपए में दो इंजेक्शन मिल रहे हैं। अन्य टेबलेट साउथ कोरिया से दलालों के माध्यम से मंगाना पड़ रही हैं।
आयुष्मान का कार्ड होने के बावजूद
खर्च हो चुके 16 लाख
ब च्चे के पिता रामभूषण रघुवंशी ने बताया कि जनवरी से मार्च 2019 तक भोपाल भर के अस्पतालों में दिखाने और जांचें कराई लेकिन बीमारी पकड़ में नहीं आई। इसके बाद एम्स के न्यूरोफिजीशियन डॉ नीरेन्द्र राय की सलाह पर रीढ की हड्डी के पानी(सीएसएफ)की जांच चार पैथोलॉजी लेब में कराने पर एक लैब की रिपोर्ट में पता चला कि रीढ़ की हड्डी के पानी में 2 लाख 24 हजार वायरस मौजूद हैं। इस बीमारी का नाम एसएसपी बताया गया। अपने बेटे के इलाज के लिए दो एकड़ जमीन को सात लाख रूपये में बेच चुके हैं। आयुष्मान का कार्ड होने के बावजूद बेटे के इलाज में अब तक 16 लाख रूपये से अधिक खर्च हो चुके हैं फिर भी बेटे की हालत गंभीर है।
दलालों के माध्यम से मंगा रहे दवाएं
रघुवंशी के अनुसार एम्स में जांच के बाद डॉक्टरों ने जो इंजेक्शन और दवाएं लिखकर दीं। वे भोपाल कहीं नहीं मिलीं। शुरूआत में 590 रुपए के एमआरपी का इंजेक्शन दिल्ली के दलाल के माध्यम से 55 हजार रुपए में खरीदकर बच्चे को लगवा। अन्य दवाएं भी साउथ कोरिया से मंगा रहे हैं। यह सौ टेबलेट एक लाख रुपए में आती हैं। इसके बाद भी बेटे की सेहत में कोई सुधार नहीं हो रहा हैं। अब उसने खाना-पीना बंद कर दिया है।