वहीं महिलाओं की संख्या 1203 जन्मजात विकृति और बुखार हैं। इस रिपोर्ट में महिलाओं की मौत की वजह गंभीर हायपरटेंशन,एक्लैंपशिया, गंभीर एनीमियां, सेप्सीस, ऑब्सट्रक्टेड लेबर और गर्भपात है। सरकार प्रदेश में दर्जन भर स्वास्थ्य अभियान चला रही है लेकिन उनका परिणाम सिफर ही सामने आ रहा है।
स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के करोड़ों रुपए का बजट ( budget ) भी मां और बच्चों की जान नहीं बचा पा रहा है। हैरानी की बात ये भी है कि प्रदेश की राजधानी भोपाल में बच्चों की मौत ( Death of childrens ) का आंकड़ा तीन हजार से ज्यादा है जो कि प्रदेश में नंबर एक पर है।
स्वास्थ्य का दो साल का बजट :
स्वास्थ्य,महिला एवं बाल विकास और चिकित्सा शिक्षा को मिलाकर 2018-19 में 11434 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2019-20 में कमलनाथ सरकार ने इस बजट में 32 फीसदी का इजाफा कर दिया है। इस साल स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर 15150 करोड़ रुपए खर्च होंगे। दो साल में सरकार ने स्वास्थ्य के उपर 26584 करोड़ रुपए का प्रावधान किया।
बच्चों की मौत का आंकड़ा :
स्वास्थ्य,महिला एवं बाल विकास और चिकित्सा शिक्षा को मिलाकर 2018-19 में 11434 करोड़ रुपए खर्च किए गए। 2019-20 में कमलनाथ सरकार ने इस बजट में 32 फीसदी का इजाफा कर दिया है। इस साल स्वास्थ्य कार्यक्रमों पर 15150 करोड़ रुपए खर्च होंगे। दो साल में सरकार ने स्वास्थ्य के उपर 26584 करोड़ रुपए का प्रावधान किया।
बच्चों की मौत का आंकड़ा :
– भोपाल : 3150
– जबलपुर : 725
– बड़वानी : 648
– सतना : 613
– धार : 580
– उमरिया : 495
– गुना : 464
– छतरपुर : 413
– कटनी : 405
– सागर : 400
– खरगौन : 396
– रतलाम : ३९३
– सीहोर : ३८२
– छिंदवाड़ा : 370
– इंदौर : 231
– पन्ना : 321
– रायसेन : 201
– होशंगाबाद : 213
– राजगढ़ : 281
– बैतूल : 250
– अशोक नगर : 202
– बालाघाट : 225
– डिंडौरी : 231
– खंडवा : 293
– अलीराजपुर : 233
– उज्जैन : 216
– मंदसौर : 250
– दमोह : 240
– जबलपुर : 725
– बड़वानी : 648
– सतना : 613
– धार : 580
– उमरिया : 495
– गुना : 464
– छतरपुर : 413
– कटनी : 405
– सागर : 400
– खरगौन : 396
– रतलाम : ३९३
– सीहोर : ३८२
– छिंदवाड़ा : 370
– इंदौर : 231
– पन्ना : 321
– रायसेन : 201
– होशंगाबाद : 213
– राजगढ़ : 281
– बैतूल : 250
– अशोक नगर : 202
– बालाघाट : 225
– डिंडौरी : 231
– खंडवा : 293
– अलीराजपुर : 233
– उज्जैन : 216
– मंदसौर : 250
– दमोह : 240
महिलाओं की मौत का आंकड़ा :
– हरदा : 342
– भोपाल : 108
– सागर : 75
– जबलपुर : 64
– बड़वानी : 40
– इंदौर : 37
– खरगौन : 34
– छिंदवाड़ा : 29
– छतरपुर : 21
– सीहोर : 20
– हरदा : 342
– भोपाल : 108
– सागर : 75
– जबलपुर : 64
– बड़वानी : 40
– इंदौर : 37
– खरगौन : 34
– छिंदवाड़ा : 29
– छतरपुर : 21
– सीहोर : 20
असमय मौत रोकने सरकार के प्रयास :
– नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई की स्थापना – जिला अस्पतालों में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई स्थापित की गई है, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है और एक साल तक फॉलोअप किया जाता है।
– नवजात शिशु स्थरीकरण इकाई : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खिरकिया में इस इकाई की स्थापना
– चिन्हित प्रसव केंद्रों पर न्यूबोर्न केयर कॉर्नर बनाया गया है।
– परिवार केंद्रित देखभाल – इसके तहत परिवार के लोगों को नवजात शिशु की देखभाल की ट्रेनिंग दी जाती है।
– पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना – इसके माध्यम से शिशु और माता को संतुलित पोषण दिया जाता है।
– दस्तक अभियान – पूरे प्रदेश में दस्तक अभियान चलाया गया जिसमें कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उनका पुनर्वास किया गया। साथ ही बच्चों का टीकाकरण किया गया।
– जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम : इसके तहत एक वर्ष तक के बच्चों और उनकी माताओं को निशुल्क आहार परिवहन की व्यवस्था की जाती है।
– नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई की स्थापना – जिला अस्पतालों में नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई स्थापित की गई है, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा बच्चों को भर्ती कर इलाज किया जाता है और एक साल तक फॉलोअप किया जाता है।
– नवजात शिशु स्थरीकरण इकाई : सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खिरकिया में इस इकाई की स्थापना
– चिन्हित प्रसव केंद्रों पर न्यूबोर्न केयर कॉर्नर बनाया गया है।
– परिवार केंद्रित देखभाल – इसके तहत परिवार के लोगों को नवजात शिशु की देखभाल की ट्रेनिंग दी जाती है।
– पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना – इसके माध्यम से शिशु और माता को संतुलित पोषण दिया जाता है।
– दस्तक अभियान – पूरे प्रदेश में दस्तक अभियान चलाया गया जिसमें कुपोषित बच्चों को चिन्हित कर उनका पुनर्वास किया गया। साथ ही बच्चों का टीकाकरण किया गया।
– जननी-शिशु सुरक्षा कार्यक्रम : इसके तहत एक वर्ष तक के बच्चों और उनकी माताओं को निशुल्क आहार परिवहन की व्यवस्था की जाती है।