सड़कों के निर्माण के लिए फैक्ट्रियां अपना waste chemical material उपलब्ध कराती हैं, जिससे सड़कों में डामर, सीमेंट का उपयोग कम हो सके। घने ग्रामीण बस्तियों में कई जगह पर पेनल्ड कांक्रीट की सड़कें बनाई गई हैं। इससे जहां-जहां सड़कें खराब हो जाती हैं, वहां उतने पेनल को निकाल कर दूसरा पेनल लगा दिया जाता है, इससे उनके रख-रखाव की लागत 70 फीसदी कम हो जाती है।
नवाचार को लेकर अंतर्राष्टीय सेमिनार
सड़कों के नवाचार को लेकर दिल्ली में एक सेमीनार भी किया जाना है। इस समिनार में सभी राज्य अपनी सड़कों के निर्माण में किए गए नए-नए प्रयोगों के संबंध में इंजीनियरों को जानकारी आदान प्रदान करेंगे। मध्य प्रदेश भी अपने सभी 18 नवाचारों के संबंध में इस सेमीनार में प्रजेंटेशन देगा। मध्य ग्रामीण सड़क प्राधिकरण इसकी तैयारी शुरू कर रहा है, संभवत: यह बैठक अगले माह होनी है।
ये हुए बड़े नवाचार
- शहरों से निकलने वाली पन्नी (पॉलीथिन) को डामर की जगह पर उपयोग किया गया और सड़कें बनाई गई।
- दलदली जमीन और पानी जमा होने वाले क्षेत्रों में सड़कों की सतह पर पन्नी बिछाई गई, इससे सड़कों में धसाव और नीचे दबने की शिकायतें नहीं आईं।
- जिन क्षेत्रों में जमीन पर दरार की शिकायतें आती थीं वहां सड़कों को बनाने के बाद बीच बीच में उसमें सड़कें काट दी गईं। इससे सड़कों में दरारें नहीं आई। सड़कें खराब होने के बाद उस क्षेत्र का पेंच वर्क कर दिया गया।
- पत्थर उपलब्ध होने वाले क्षेत्रों में सड़कों की जगह पत्थर के बोल्डर आपस में जमाकर सड़कें बनाई गईं, इससे सड़कों की लागत कम आई।
- नैनो टैक्नालॉजी से सड़कों के निर्माण में उद्योगों से निकलने वाले बेकार रसायनों का उपयोग कर सीमेटें और डामर में मिलाकर सड़कें बनाई गई। इससे सड़कों की लागत में 50 फीसदी तक कमी आई।
- गांवों के बीचों-बीच निकलने वाली सड़कों को पेनल कांक्रीट से बनाया गया। इस टैक्नालाजी से सड़कों के रख-रखाव की लागत काफी कम हो जाती है।
- जिंकोसील टेक्नॉलाजी से डामर की मात्रा को 5 फीसदी तक कम कर रसायन मिलाया जाता है, जिससे सड़क की लागत कम हो जाता है। इस तकनीक से चार सौ किमी सड़कें बनाई गई हैं।
सड़कों के नवाचार को लेकर दिल्ली में एक सेमीनार भी किया जाना है। इस समिनार में सभी राज्य अपनी सड़कों के निर्माण में किए गए नए-नए प्रयोगों के संबंध में इंजीनियरों को जानकारी आदान प्रदान करेंगे। मध्य प्रदेश भी अपने सभी 18 नवाचारों के संबंध में इस सेमीनार में प्रजेंटेशन देगा। मध्य ग्रामीण सड़क प्राधिकरण इसकी तैयारी शुरू कर रहा है, संभवत: यह बैठक अगले माह होनी है।
ये हुए बड़े नवाचार
- शहरों से निकलने वाली पन्नी (पॉलीथिन) को डामर की जगह पर उपयोग किया गया और सड़कें बनाई गई।
- दलदली जमीन और पानी जमा होने वाले क्षेत्रों में सड़कों की सतह पर पन्नी बिछाई गई, इससे सड़कों में धसाव और नीचे दबने की शिकायतें नहीं आईं।
- जिन क्षेत्रों में जमीन पर दरार की शिकायतें आती थीं वहां सड़कों को बनाने के बाद बीच बीच में उसमें सड़कें काट दी गईं। इससे सड़कों में दरारें नहीं आई। सड़कें खराब होने के बाद उस क्षेत्र का पेंच वर्क कर दिया गया।
- पत्थर उपलब्ध होने वाले क्षेत्रों में सड़कों की जगह पत्थर के बोल्डर आपस में जमाकर सड़कें बनाई गईं, इससे सड़कों की लागत कम आई।
- नैनो टैक्नालॉजी से सड़कों के निर्माण में उद्योगों से निकलने वाले बेकार रसायनों का उपयोग कर सीमेटें और डामर में मिलाकर सड़कें बनाई गई। इससे सड़कों की लागत में 50 फीसदी तक कमी आई।
- गांवों के बीचों-बीच निकलने वाली सड़कों को पेनल कांक्रीट से बनाया गया। इस टैक्नालाजी से सड़कों के रख-रखाव की लागत काफी कम हो जाती है।
- जिंकोसील टेक्नॉलाजी से डामर की मात्रा को 5 फीसदी तक कम कर रसायन मिलाया जाता है, जिससे सड़क की लागत कम हो जाता है। इस तकनीक से चार सौ किमी सड़कें बनाई गई हैं।