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बहन को बचाने भाई पानी में कूदा, बच्चों को बचाने मां ने भी लगाई छलांग, दोनों बच्चों की मौत

locationभोपालPublished: Jun 17, 2022 06:54:52 pm

Submitted by:

Shailendra Sharma

लोगों ने जैसे तैसे मां की जान बचाई..बच्चों को नहीं बचा सके..अयोध्या नगर खंती की घटना…

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भोपाल. भोपाल के अयोध्या नगर इलाके में एक दर्दनाक हादसा हो गया। यहां पानी से भरी 40 फीट गहरी खंती में डूबने से दो मासूम भाई-बहन की मौत हो गई। बच्चों को बचाने के लिए मां भी पानी में कूदी थी जिसे स्थानीय लोगों ने किसी तरह बचा लिया। बताया जा रहा है कि पहले 5 साल की बच्ची खेलते खेलते खंती पर पहुंची थी और पानी में गिर गई जिसे डूबता देख 7 साल का भाई पानी में उतर गया और डूबने लगा। दोनों को डूबता देख मां भी पानी की खंती में कूद गई थी। शुक्रवार को बच्चों के शव का पोस्टमार्टम कर परिवार वालों को सौंप दिया। हादसे के बाद से मां बच्चों का नाम लेकर बार-बार बेहोश हो रही है। वहीं, पिता का भी रो-रोकर बुरा हाल है। पिता का कहना है कि सबकुछ खत्म हो गया।
अयोध्या नगर थाना प्रभारी नीलेश अवस्थी ने बताया कि 5 साल की मुन्नी और 7 साल का अतुल विश्वकर्मा अपने माता-पिता के साथ खंती से करीब 100 मीटर की दूरी पर रहते थे। पिता राजमिस्त्री और घरों में काम करते हैं। गुरुवार को शाम के वक्त बच्ची मुन्‍नी घर से निकलकर खेलने के लिए खंती के पास पहुंची थी। खेलते वक्‍त पैर फिसलने से वो खंती में गिर गई। पास ही खेल रहे भाई अतुल ने जब बहन को डूबते देखा तो वो भी उसे बचाने खंती में कूद गया जिससे दोनों डूब गए। दोनों बच्चों को डूबता देख मां ने भी खंती में छलांग लगा दगी। हालांकि लोगों ने किसी तरह मां को बचा लिया। घटना के बाद इलाके में मातम का माहौल है। बच्चों के शव जब खंती से निकाले गए तो सभी की आंखें नम हो गईं।
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पिता बोले- सब कुछ खत्म हो गया
पिता भगवान ने बताया कि वे मूलत: गुना के रहने वाले हैं। शादी के बाद उन्हें लगा कि भोपाल में अच्छा काम मिलेगा। इससे वे बच्चों को अच्छा पढ़ा सकेंगे। इस कारण करीब 10 साल पहले यहां आए थे। दो दिन पहले ही उन्होंने अतुल का स्कूल में एडमिशन कराया था। बेटी का भी सोमवार को स्कूल में नाम लिखवाने वाले थे। कॉपी किताब के लिए रुपए नहीं थे, इसलिए बच्चे को स्कूल नहीं भेजा था। सोचा था कि दो दिन में रुपयों का इंतजाम कर उसे स्कूल भेज दूंगा, लेकिन सबकुछ खत्म हो गया। दोनों बच्चे ऑपरेशन के बाद हुए थे। अब हमारे पास कुछ नहीं बचा।
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