उपचुनाव में देरी से खतरे में इन मंत्रियों की कुर्सी
उपचुनाव की तारीखों का एलान न होने से ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक शिवराज सरकार के दो कद्दावर मंत्रियों की कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा है। इन मंत्रियों के नाम गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट हैं। दोनों ही मंत्री कट्टर सिंधिया समर्थक हैं और ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल होने पर बीजेपी में शामिल हुए थे जिसके बाद उन्हें शिवराज सरकार के सत्ता में आते ही मंत्री बनाया गया था। मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट ने 21 अप्रैल को प्रदेश सरकार के मंत्री के तौर पर शपथ ली थी।
क्या है नियम ?
दरअसल मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट भले ही शिवराज सरकार में मंत्री हैं लेकिन वो अभी विधायक नहीं हैं। विधायकी से इस्तीफा देने के बाद भी गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट को शिवराज सरकार में मंत्री बनाया गया था। संवैधानिक प्रावधानों के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति जो कि किसी भी सदन का सदस्य नहीं है और अगर वो मंत्री पद की शपथ लेता है तो उसे मंत्री पद की शपथ लेने के छह महीनों के अंदर सदन का सदस्य बनना जरुरी होता है क्योंकि गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट ने 21 अप्रैल को मंत्री पद की शपथ ली थी तो ऐसे में 21 अक्टूबर को 6 महीने का वक्त पूरा होने वाला है। ऐसे में अब जब शुक्रवार को भी मध्यप्रदेश उपचुनाव की तारीखों का एलान नहीं हुआ है तो इस बात की संभावना बेहद कम ही नजर आ रही है कि 21 अक्टूबर से पहले चुनाव आयोग उपचुनाव की प्रक्रिया संपन्न करा पाएगा ऐसे में नियमानुसार मंत्री गोविंद सिंह और तुलसी सिलावट को अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ सकता है।
इस्तीफे के बाद दोबारा मंत्री पद की शपथ लेने पर भी संकट
नियमानुसार अगर 6 महीने का वक्त पूरा होने पर मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और तुलसी सिलावट अपने मंत्री पद से इस्तीफा देते हैं तो फिर दोबारा उनके मंत्री पद की शपथ लेने पर भी संकट आएगा क्योंकि तब दोनों ही नेता उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में होंगे और अगर उस वक्त उन्हें मंत्री पद की शपथ दिलाई गई तो ये आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।