राज्य सरकार ने खेती की बिजली को सौर ऊर्जा पर शिफ्ट करने की तैयारी की है। कुसुम-सी योजना में नई परियोजनाएं लाना तय किया गया है। इसके लिए टेंडर अगले महीने तक हो जाएंगे। निजी कंपनी या व्यक्ति फीडर को ले सकेगा। वहां पर सौर ऊर्जा का उत्पादन करके 8 घंटे खेती के लिए बिजली देनी होगी। बाकी यदि ज्यादा बिजली रहती है, तो संबंधित निजी कंपनी या एजेंसी उसे खुले बाजार में बेच सकेगी या खुद उपयोग कर सकेगी।
ऐसे होगी आपूर्ति
कार्ययोजना के तहत धीरे-धीरे पूरे प्रदेश के खेती के फीडर सौर ऊर्जा पर शिफ्ट किए जाएंगे। ये सौर ऊर्जा खेती के लिए दिन में ही मिलेगी। वजह यह है कि अभी सौर ऊर्जा के स्टोरेज की स्थिति नहीं है। इस कारण यह दिन में ही मिल सकेगी, जबकि थर्मल आधारित प्लांट से बिजली रात के समय दी जाएगी। इससे आपूर्ति प्लान में दिन में सौर ऊर्जा और रात के समय थर्मल बिजली का गणित काम कर सकेगा।
30000 मेगावाट के प्लान
मध्यप्रदेश में सौर ऊर्जा के लिए बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। भविष्य में बिजली की मांग व कोयला संकट को देखते हुए सौर ऊर्जा ही बेहतर विकल्प है। सितंबर 2021 और मई 2022 में दो बार कोयले की कमी के कारण बिजली संकट छा चुका है। भविष्य में इससे निपट सकें, इसके लिए 50% बिजली खपत को सौर ऊर्जा पर शिफ्ट करने पर काम हो रहा है।
MP में करीब 30 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा बनाने की दीर्घकालीन योजना पर काम चल रहा है। इसके तहत ही खेती के फीडर सौर ऊर्जा पर शिफ्ट होते हैं, तो थर्मल बिजली की बड़ी खपत पर रोक लगेगी। साथ ही खेती के फीडर पर बिजली में नुकसान पर अंकुश लगेगा।
वर्तमान में खेती के लिए अलग फीडर है, लेकिन इस पर थर्मल बिजली ही मिलती है। कोयला संकट होने के कारण प्रदेश में बिजली संकट छाया, तो खेती के फीडर पर भी भारी ट्रिपिंग यानी अघोषित कटौती शुरू हो गई है। अभी तक दस घंटे खेती की बिजली आपूर्ति देने का दावा है, लेकिन कई जगह पर यह छह से आठ घंटे ही मिल पाई है। हालांकि अब कोयला संकट दूर हो रहा है, तो वापस सुधार की स्थिति है। अब यदि सौर ऊर्जा मिलती है तो यह ट्रिपिंग कम हो सकेगी। साथ ही कुल आपूर्ति भी बढ़ जाएंगी।