script25 कलाकारों ने 9 प्रस्तुतियों में पेश किए मैया के विभिन्न रूप | 25 artists presented various forms of maia in 9 productions | Patrika News

25 कलाकारों ने 9 प्रस्तुतियों में पेश किए मैया के विभिन्न रूप

locationभोपालPublished: Dec 15, 2019 11:53:18 am

Submitted by:

hitesh sharma

शहीद भवन में नृत्य संकीर्तनम् का आयोजन

25 कलाकारों ने 9 प्रस्तुतियों में पेश किए मैया के विभिन्न रूप

25 कलाकारों ने 9 प्रस्तुतियों में पेश किए मैया के विभिन्न रूप

भोपाल। भारत में शास्त्रीय नृत्यों में धार्मिक परंपराएं, रीति-रिवाज, मंत्र व भजनों को भी प्रमुखता दी जाती रही है। शहीद भवन में संकीर्तन व भजन पर आधारित भरतनाट्यम प्रस्तुतियां देखने का अवसर दर्शकों को मिला। इस प्रस्तुति में देवी आधारित संकीर्तन और भजन ‘मैया’ की भरतनाट्यम प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति का निर्देशन व संयोजन मंजू मणि हतवलने ने किया और इसमें 25 नृत्यांगनाओं ने प्रस्तुति दी।


पुष्पांजलि से हुई शुरुआत
इस प्रस्तुति में सबसे पहले राग गांभीर नट्टै व आदि ताल पर आधारित पुष्पांजली की प्रस्तुति दी गई, जिसमें अष्टदिग्पालों को, परमपूज्य गणपति, समस्त वाद्यों, गुरु, देवी, देवताओं और दर्शकों का आशीर्वाद लेकर कार्यक्रम की सफलता की प्रार्थना की गई। इसके बाद राग नट्टै ताल चतुरश्र एकम पर आधारित अलारिप्पु की प्रस्तुति दी गई। यह शुद्ध नृत्य होता है इसमें अभिनय का कोई स्थान नहीं। इसके बाद राग यमन कल्याणी पर आधारित आदि ताल में निबद्ध सरस्वती भजन की खूबसूरत प्रस्तुति से मंच को सजाया गया।

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मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो… ने मोहा मन

प्रस्तुति के क्रम को आगे बढ़ाते हुए दुर्गा कीर्तन की प्रस्तुति दी गई, जो राग रेवती और आदि ताल में निबद्ध थी। शाक्त स प्रदाय की मु य देवी हैं जिनकी तुलना परम ब्रह्म से की जाती है। जिनके महिमा इस प्रस्तुति में दिखाई गई। वहीं, या देवी सर्वभूतेषु प्रस्तुति में देवी के नौ रूपों का वर्णन किया गया, जिसमें नौ दुर्गा श्लोक और जतियों का अत्यंत सुंदर समावेश देखने को मिला। इसके बाद महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम की प्रस्तुति हुई।

इसमें दिखाया कि भले ही संहार से जुड़ा हो, लेकिन मन में एक आनंद, सकारात्मकता और शांति को जन्म देता है। अगले क्रम में मैया मोरी की मनमोहक प्रस्तुति ने सभी दर्शकों को आनंद भाव से भर दिया। इस प्रस्तुति में दिखाया, कि सूरदास रचित इस पद में श्यामसुन्दर बोले- मैया! मैंने मक्खन नहीं खाया है। सुबह होते ही गायों के पीछे मुझे भेज देती हो। चार पहर भटकने के बाद सांझ होने पर वापस आता हूं। मैं छोटा बालक हूं मेरी बाहें छोटी हैं, मैं छींके तक कैसे पहुंच सकता हूं?


तिल्लाना से किया अंत
प्रस्तुति के अंत में तिल्लाना की प्रस्तुति दी गई। ये भरतनाट्यम नृत्य के अंत में प्रस्तुत की जाने वाली प्रस्तुति है। इसमें नृत्त की प्रधानता और इसके अंत में अभिनय व साहित्य देखने को मिला। वहीं, प्रस्तुति का समापन वंदे मातरम प्रस्तुति से कर देशभक्ति भाव का संचार किया गया।

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