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नान पर 29 हजार करोड़ का कर्ज, हर दिन चुकाना पड़ रहा 7 करोड़ का ब्याज

locationभोपालPublished: Oct 06, 2019 08:03:34 am

Submitted by:

Ashok gautam

नान पर 29 हजार करोड़ का कर्ज, हर दिन चुकाना पड़ रहा ७ करोड़ का ब्याज
-धान खरीदी करने 900 करोड़ फिर लेगा लोन

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Food was being sold to the poor in market, Tehsildar caught, stirred

भोपाल। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम (नान) धान खरीदी के लिए 9 सौ करोड़ रुपए का कर्ज फिर लेने की तैयारी कर रहा है।

जबकि नान पर पहले से ही 29 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। जिसका निगम को प्रति दिन ६ से ७ करोड़ रुपए बैंकों को ब्याज देना पड़ रहा है। नान पर यह कर्ज समर्थन मूल्य पर धान, गेहूं, चना सहित अन्य अनाज की खरीदी, उसके परिवहन और भंडारण करने को लेकर हुआ है।

प्रदेश में प्रति वर्ष समर्थन मूल्य पर धान, गेहूं खरीदी में नागरिक आपूर्ति निगम की कमर टूटती जा रही है। निगम पर हर साल करीब ३ से ४ हजार करोड़ का कर्ज का बोझ लदता जा रहा है। यह कर्ज समर्थन मूल्य पर की गई खरीदी के लिए केन्द्र सरकार से राशि समय पर नहीं मिलने के चलते बढ़ रहा है।

इस साल सबसे ज्यादा कर्ज बढ़ा है, क्योंकि निगम ने इस वर्ष केन्द्र के लिए गेहूं की जितनी खरीदी की थी, उसमें से 5४ लाख टन गेहूं केंद्र ने अभी तक नहीं उठाया है। इसके चलते नान का 11 हजार करोड़ रुपए केन्द्र फंसा हुआ है।

इसी तरह से वर्ष 2007 से लेकर अभी तक का 29 हजार करोड़ कर्ज नान के ऊपर चढ़ गया है। इस राशि का क्लेम केन्द्र सरकार से लेना है, लेकिन केन्द्र सरकार पुराने पैसे को देने का नाम नहीं ले रही है और नए गेहूं का उठाव नहीं कर रही है।

गेहूं उठाने एफसीआई को लिखा पत्र

नान ने पिछले साल खरीदे गए गेहूं में से 5४ लाख टन गेहूं उठाने के लिए पत्र लिखा है। नान कहा कहना है कि गेहूं उठाव नहीं करने से धान के भंडारण के लिए समस्या होगी, कई जिलों में गोदाम नहीं मिल रहे है। क्योंकि पहले से ही वहां गोदामों की कमी है। इसके चलते 5 लाख टन गेहूं खुले कैप में रखा गया है। गेहूं को तो खुले में रख दिया गया था, लेकिन धान को खुले में नहीं रखा जा सकता है।

दिल्ली जाकर अफसरों को बताएंगे स्थिति-

नॉन ने केन्द्र सरकार को 29 करोड़ रुपए देने के संबंध में पत्र लिखा है। इस पत्र में मद और वर्ष वार बकाया राशि की जानकारी केन्द्र को दी गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि क्लेम पर चर्चा के संबंध में केन्द्र तिथि और समय निर्धारित करें, जिससे अधिकारियों की एक टीम दिल्ली जाकर बिंदुवार चर्चा कर सकें। इसके साथ ही उन्हें इस संबंध में दस्तावेज भी उपलब्ध करा सकें।
बनाई जाएगी टीम
गेहूं, धान सहित अन्य अनाज की खरीदी, भंडारण और परिवहन पर अब तक जितना खर्च हुआ है, उसकी गणना और डाक्यूमेंटेशन के लिए नान एक टीम गठित करने जा रहा है। यह टीम सिर्फ क्लेम सेटलमेंट का काम करेगी।
टीम केन्द्र सरकार के अफसरों के पास नियमित रूप से जाकर लेनदारी का निराकरण करेंगी। लेनदारी के संबंध में केन्द्र सरकार से जो भी दस्तावेज मांगे जाएंगे उसे उपलब्ध कराएगी और जो भी कमियां होंगी उसे पूर्ति कराने का काम करेगी।

केन्द्र से काफी राशि निगम को लेना है। केन्द्र से समय पर राशि नहीं मिलने से निगम को हर माह भारी ब्याज चुकाना पड़ रहा है। राशि लेने और गेहूं उठाव के संबंध में केन्द्र लगातार पत्राचार किया जा रहा है।
– अभिजीत अग्रवाल, एमडी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम मप्र

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