प्रदेश में प्रति वर्ष समर्थन मूल्य पर धान, गेहूं खरीदी में नागरिक आपूर्ति निगम की कमर टूटती जा रही है। निगम पर हर साल करीब ३ से ४ हजार करोड़ का कर्ज का बोझ लदता जा रहा है। यह कर्ज समर्थन मूल्य पर की गई खरीदी के लिए केन्द्र सरकार से राशि समय पर नहीं मिलने के चलते बढ़ रहा है।
इस साल सबसे ज्यादा कर्ज बढ़ा है, क्योंकि निगम ने इस वर्ष केन्द्र के लिए गेहूं की जितनी खरीदी की थी, उसमें से 5४ लाख टन गेहूं केंद्र ने अभी तक नहीं उठाया है। इसके चलते नान का 11 हजार करोड़ रुपए केन्द्र फंसा हुआ है।
इसी तरह से वर्ष 2007 से लेकर अभी तक का 29 हजार करोड़ कर्ज नान के ऊपर चढ़ गया है। इस राशि का क्लेम केन्द्र सरकार से लेना है, लेकिन केन्द्र सरकार पुराने पैसे को देने का नाम नहीं ले रही है और नए गेहूं का उठाव नहीं कर रही है।
गेहूं, धान सहित अन्य अनाज की खरीदी, भंडारण और परिवहन पर अब तक जितना खर्च हुआ है, उसकी गणना और डाक्यूमेंटेशन के लिए नान एक टीम गठित करने जा रहा है। यह टीम सिर्फ क्लेम सेटलमेंट का काम करेगी।
केन्द्र से काफी राशि निगम को लेना है। केन्द्र से समय पर राशि नहीं मिलने से निगम को हर माह भारी ब्याज चुकाना पड़ रहा है। राशि लेने और गेहूं उठाव के संबंध में केन्द्र लगातार पत्राचार किया जा रहा है।