सहकारिता घोटाला : डूबने वाली कंपनियों में जान-बूझकर लगा दिए 118 करोड़
भाजपा शासन के सहकारिता घोटाले पर प्रमुख सचिव को चिट्ठी से घेरने के बाद सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने रात को यूटर्न ले लिया। मंत्री गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि पीएस अजीत केसरी घोटाले पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
इसके बाद बवाल मचा तो मंत्री अपने आरोपों से मुकर गए। उन्होंने कहा, 4 अप्रैल को नोटशीट लिखी थी। कार्रवाई में समय संभव है। मंत्री का आरोप है कि भोपाल सहकारिता बैंक ने 118 करोड़ रुपए दो निजी कंपनियों में निवेश कर डूबा दिए।
118 करोड़ का घोटाला पिछली भाजपा सरकार में हुआ है। जान-बूझकर डूबने वाली कंपनियों में राशि निवेश की गई। पीएस को तो छह दिन पहले ही चिठ्ठी लिखी है। उन्हें कार्रवाई करने का समय नहीं मिला है।
गोविंद सिंह, मंत्री, सहकारिता
कुसुम ने कहा- इ-टेंडर के आर्डर पर शिवराज ने किए थे हस्ताक्षर
तत्कालीन पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले ने गुरुवार को कहा, जल निगम में इ-टेंडर जारी करने की फाइल पर मैंने नहीं, शिवराज ने जल निगम के अध्यक्ष के रूप में हस्ताक्षर किए थे। जिन सात ठेकेदारों के साथ पंाच विभागों के अज्ञात पीएस और तत्कालीन मंत्रियों पर एफआइआर दर्ज की है, उसमें जल निगम भी है। मेहदेले का कहना है कि इ-टेंडर के आदेश शिवराज ने जारी किए थे।
मंत्री की तो कोई भूमिका रहती नहीं
पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह ने कहा, यह घोटाला भाजपा सरकार ने पकड़ा था। उसके बाद सारे काम स्थगित कर दिए। मंत्री की इनमें कोई भूमिका नहीं रहती है। हमारे पास फाइल आखिरी स्टेज पर आती थी। फिर भी गड़बड़ हुई है तो पूरी जांच होनी चाहिए। मैं तत्कालीन मंत्री के रूप में जांच में पूरा सहयोग करूंगा।