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इ-टेंडर घोटाले में FIR के 15 घंटे बाद ईओडब्ल्यू के छापे, तीन गिरफ्तार

locationभोपालPublished: Apr 12, 2019 11:07:00 am

Submitted by:

KRISHNAKANT SHUKLA

एक्शन में सरकार: ओस्मो के दफ्तर से कम्प्यूटर और हार्डडिस्क जब्त

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मुखबीर की सूचना पर परमानतपुर मोहल्ला में तालाब के किनारे से हुई गिरफ्तारी

भोपाल. मुख्यमंत्री के करीबियों पर आयकर छापे होने के बाद कमलनाथ सरकार आक्रमक हो गई है। प्रदेश में 3000 करोड़ के इ-टेंडर में छेड़छाड़ के घोटाले में एफआइआर दर्ज होनेे के 15 घंटे बाद ईओडब्ल्यू ने छापा कार्रवाई शुरू कर दी है। जांच एजेंसी के एसपी अरुण मिश्रा की टीम ने गुरुवार सुबह 10 बजे मानसरोवर कॉम्पलेक्स स्थित आइटी कंपनी ओस्मो के दफ्तर पर छापा मारकर संचालक वरुण चतुर्वेदी, विनय चौधरी और सुमित गोलवलकर को गिरफ्तार किया।
दफ्तर से 35 कम्प्यूटर, हार्डडिस्क और टेंडर डॉक्यूमेंट भी जब्त किए गए। बताया जा रहा है कि ईओडब्ल्यू शुक्रवार को ओस्मो संचालकों को कोर्ट में पेश कर रिमांड मांगेगी। इन पर आरोप है कि इन्होंने इ-टेंडरों में छेड़छाड़ कर रेट बदल दिए थे।
जांच में उनके मोबाइल और कम्प्यूटर के आइपी एड्रेस भी मैच हुए हैं। कंपनी ने कई डिजिटल सिग्नेचर कंपनियों की एजेंसी ले रखी थी। अनुबंध समाप्त होने के बावजूद यह कंपनी डिजिटल सिग्नेचर बना रही थी। इ-टेंडर पोर्टल बनाने वाली बंगलुरु की एंटारेस कंपनी ने भोपाल की ओस्मो सॉल्यूशन्स को पोर्टल संचालन की जिम्मेदारी दी थी।

सहकारिता घोटाला : डूबने वाली कंपनियों में जान-बूझकर लगा दिए 118 करोड़

भाजपा शासन के सहकारिता घोटाले पर प्रमुख सचिव को चिट्ठी से घेरने के बाद सहकारिता मंत्री गोविंद सिंह ने रात को यूटर्न ले लिया। मंत्री गोविंद सिंह ने मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिखकर आरोप लगाया था कि पीएस अजीत केसरी घोटाले पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

इसके बाद बवाल मचा तो मंत्री अपने आरोपों से मुकर गए। उन्होंने कहा, 4 अप्रैल को नोटशीट लिखी थी। कार्रवाई में समय संभव है। मंत्री का आरोप है कि भोपाल सहकारिता बैंक ने 118 करोड़ रुपए दो निजी कंपनियों में निवेश कर डूबा दिए।

118 करोड़ का घोटाला पिछली भाजपा सरकार में हुआ है। जान-बूझकर डूबने वाली कंपनियों में राशि निवेश की गई। पीएस को तो छह दिन पहले ही चिठ्ठी लिखी है। उन्हें कार्रवाई करने का समय नहीं मिला है।
गोविंद सिंह, मंत्री, सहकारिता

कुसुम ने कहा- इ-टेंडर के आर्डर पर शिवराज ने किए थे हस्ताक्षर

तत्कालीन पीएचई मंत्री कुसुम मेहदेले ने गुरुवार को कहा, जल निगम में इ-टेंडर जारी करने की फाइल पर मैंने नहीं, शिवराज ने जल निगम के अध्यक्ष के रूप में हस्ताक्षर किए थे। जिन सात ठेकेदारों के साथ पंाच विभागों के अज्ञात पीएस और तत्कालीन मंत्रियों पर एफआइआर दर्ज की है, उसमें जल निगम भी है। मेहदेले का कहना है कि इ-टेंडर के आदेश शिवराज ने जारी किए थे।

मंत्री की तो कोई भूमिका रहती नहीं

पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री रामपाल सिंह ने कहा, यह घोटाला भाजपा सरकार ने पकड़ा था। उसके बाद सारे काम स्थगित कर दिए। मंत्री की इनमें कोई भूमिका नहीं रहती है। हमारे पास फाइल आखिरी स्टेज पर आती थी। फिर भी गड़बड़ हुई है तो पूरी जांच होनी चाहिए। मैं तत्कालीन मंत्री के रूप में जांच में पूरा सहयोग करूंगा।

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