अधिकारियों के अनुसार खासतौर पर फार्मा सेक्टर में निर्यात तेजी से बढ़ा है। इस सेक्टर मप्र का योगदान देश के कुल निर्यात में 6.5% हो चुका है। 1 साल से कोविड-19 की दवाओं की भारी मांग के चलते फार्मा सेक्टर में एमपी का निर्यात बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच जाने की उम्मीद है। पिछले साल प्रदेश से 6550 करोड़ की दवाएं विदेश भेजी गईं थी।
इधर पिछले कुछ माहों में खाद्यान्नों का भी निर्यात तेजी से बढ़ा है। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद तो मप्र के खाद्यान्नों की वैश्विक स्तर पर जबर्दस्त मांग है। एक्सपर्ट बताते हैं कि इससे हमारे निर्यात में करीब 3 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो सकती है। मंडीदीप इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन के पदाधिकारी बताते हैं कि 2—3 माह से तो इतनी अधिक मांग थी कि निर्यात के लिए ड्राईपोर्ट में कंटेनर कम पड़ रहे थे। विदेशों के लिए माल भेजने के लिए 15 दिन तक का इंतजार करना पड़ रहा था। खाद्यान्नों की मांग में तेजी के बाद अब सरकार ने कंटेनर भी बढ़ा दिए हैं।
एक्सपर्ट बताते हैं कि गेहूं के निर्यात के बाद अब मध्यप्रदेश के किसान सोयाबीन से भी खासा लाभ कमा सकते हैं। प्रदेश के सोयाबीन उत्पाद विदेशियों को खूब पसंद आ रहे हैं। यहां से 2,240 करोड़ सोया केक निर्यात किया गया जबकि अन्य सोया उत्पाद का निर्यात 2,054 करोड़ रुपए का रहा।