समितियां जितना अनाज खरीदना बता रही हैं, उतना गोदामों तक नहीं पहुंचा। खाद्य विभाग ने समितियों से जानकारी मांगी है कि खरीदा गया अनाज किस-किस ट्रक नम्बर से गोदामों तक भेजा गया है। तीन दिन के अंदर गोदामों तक अनाज पहुंचाना अनिवार्य था। इसके बाद सात दिन का समय और दिया गया। गेहूं खरीदी का 30 दिन से ज्यादा समय हो गया है।
यह है खेल
अनाज खरीदी ऑनलाइन की जा रही थी। आखिरी में भीड़ बढऩे पर सरकार ने ऑफलाइन टोकन बांटने के निर्देश दिए थे। कुछ समितियों ने व्यापारियों का अनाज खपाने एडवांस में गुमनाम किसानों के नाम टोकन व्यापारियों को बांट दिए। इसके बाद खरीदी केन्द्रों पर भीड़ और बढ़ गई। कलेक्टरों ने सख्ती कर किसानों के रिकॉर्ड की जांच की तो खरीदी बंद हो गई। अब सामने आ रहा है कि खरीदी हुई नहीं और समितियों ने रिकॉर्ड में ज्यादा खरीदी के आंकड़े भर कर खाद्य विभाग को भेज दिए।
समितियों में अभी भी भीग रहा अनाज
समितियों में अभी भी 45 हजार 3 सौ मीट्रिक टन अनाज रखा हुआ है। रिकॉर्ड के अनुसार यह अनाज गोदामों तक नहीं पहुंचा। सबसे ज्यादा अनाज दमोह, सागर, पन्ना, उज्जैन, देवास, रायसेन, हरदा, नरसिंहपुर, जबलपुर, विदिशा जिले की सहकारी समितियों में पड़ा हुआ है।
दूसरे जिलों को भेजा नौ जिलों का अनाज
प्रदेश के नौ जिलों में भंडारण की सबसे ज्यादा दिक्कत है। यहां से अनाज दूसरे जिलों में खरीदी केन्द्रों से करीब डेढ़ से दौ सौ किमी दूरी पर भंडारण के लिए भेजा जा रहा है। इसमें पन्ना, दतिया, सागर, दमोह, रायसेन, भोपाल, गुना सहित नौ जिले शामिल हैं।
समितियों द्वारा की गई खरीदी और भंडारण हुए अनाजों के रिकॉर्ड अलग-अलग डाटा बता रहे हैं। इस संबंध में सभी समितियों से क्लोजिंग रिपोर्ट मंगाई गई है। दोनों रिपोर्ट में भारी अंतर आ रहा है। इसमें या तो समितियों ने गड़बड़ी की है या डाटा मिस मैच हो रहा है। रिपोर्ट आने के बाद सब कुछ साफ हो जाएगा।
विकास नरवाल, एमडी खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम