प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के लगभग 40 फीसदी और एसोसिएट प्रोफेसर के एक तिहाई पद खाली हैं। वहीं सहायक प्रोफेसरों के पदों के लिए लगभग 29 फीसदी और प्रदर्शनकारियों के लिए 18 फीसदी रिक्तियां हैं।
शिक्षकों का नौकरी छोड़ना भी बड़ी वजह
मध्यप्रदेश चिकित्सा शिक्षक संघ के महासचिव डॉ राकेश मालवीय ने बताया कि रिक्तियां न केवल सेवानिवृत्ति या सीटें न भरने के कारण तो है ही, बल्कि मेडिकल कॉलेजों से मेडिकल शिक्षकों द्वारा नौकरी छोड़े जाना भी बड़ी वजह हैं. राज्य में पिछले तीन वर्षों में मेडिकल कॉलेजों के लगभग 150 शिक्षकों ने अपनी नौकरी छोड़ दी है. चिकित्सा शिक्षक संघ के अधिकारियों के मुताबिक शिक्षकों के नौकरी छोड़ने की बड़ी वजह पदोन्नति नीति की कमी, पेंशन के मुद्दे और सीमित संसाधनों का होना हैं. डॉ मालवीय ने कहा कि राज्य में चिकित्सा शिक्षकों की समयबद्ध पदोन्नति के लिए कोई नीति नहीं है जैसे पड़ोसी राज्यों में हैं.
पेंशन पर भी स्थिति साफ नहीं
डॉ मालवीय ने कहा कि 17 साल पहले शुरू हुई नेशनल पेंशन स्कीम में विभाग ने हमें स्थानांतरित नहीं किया है जिससे सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाली पेंशन पर भी कोई स्पष्टता नहीं है. दवाओं, उपकरणों, बुनियादी ढांचे की कमी जैसे सीमित संसाधनों ने राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं के हालात और दयनीय बना दिए हैं. नए मेडिकल कॉलेजों की स्थिति और भी खराब है जिनमे 40फीसदी से अधिक पद खाली हैं. इन सबके बीच राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश में दस नए मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की हैं. इस पर डॉ मालवीय ने कहा कि सरकार नए मेडिकल कॉलेजों को खोलने की घोषणा कर रही है जबकि वह मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था में सुविधाएं बढ़ाने और मेडिकल कॉलेजों में रिक्तियों को भरने में असमर्थ है। उन्होंने सुविधाएं बढ़ाने, रिक्त पदों को भरने, काम करने की स्थिति में सुधार करने की मांग की हैं.
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