हालांकि संस्थान की रजिस्ट्रार गिरिबाला सिंह का कहना है कि सुनवाई के लिए पर्याप्त समय दिया जा चुका है। अब सभी को उनकी डिग्री को वैध कराने के लिए परीक्षा को पास करना ही होगा। उल्लेखनीय है कि एनएलआईयू में बीए एलएलबी (ऑनर्स) पाठ्यक्रम में फेल छात्रों को पास की डिग्री दिए जाने का खुलासा पत्रिका ने किया था। मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अभय गोहिल को जांच सौंपी गई थी। करीब डेढ़ वर्ष तक चली इस जांच में 32 एेसे छात्रों के नाम सामने आए थे जिन्हें फेल की जगह पास की डिग्री सौंपी गई थी। मामले में संस्थान के असिस्टेंट रजिस्ट्रार रंजीत सिंह को बर्खास्त किया जा चुका है, जबकि संस्थान ने छात्रों को नोटिस जारी किया था। इन छात्रों में आज कई न्यायिक सेवा में हैं जबकि कुछ बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम कर रहे हैं।
संस्थान ने अवैध को वैध करने का निकाला तारीका
हालांकि संस्थान द्वारा निकाले गए इस तरीके पर भी जानकारों ने सवाल उठाए हैं। माना जा रहा है कि आरोपी वर्तमान में बड़े पदों पर प्रतिष्ठित हैं या फिर पारिवारिक बैक ग्राउंड मजबूत है। एेसे में सजा देने के बजाय संस्थान ने अवैध वैध करने का यह तरीका निकाला है।
जिन छात्रों को नोटिस दिया गया था उनमें से अधिकांश ने पुन: परीक्षा देने के लिए सहमति दे दी है। यह परीक्षा मई अंत तक आयोजित कराई जा सकती है। हालांकि कुछ छात्रों ने उन्हें और अवसर दिए जाने की बात कही है।
गिरिबाला सिंह, रजिस्ट्रार एनएलआईयू