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लॉकडाउन में मध्याह्न भोजन के नाम पर ही बांट दिए 316 करोड़

locationभोपालPublished: Sep 28, 2020 07:50:16 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

कोरना संकट में भी गोलमाल करने से नहीं चूके जिम्मेदार, नकद राशि के साथ खाद्यान्न घर पहुंचाने का दावा

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भोपाल. लॉकडाउन में प्रदेश के स्कूल, आंगनबााड़ी बंद थे। ऐसे में न तो कक्षाएं लगीं और न आंगनबाड़ी में बच्चे उपस्थित रहे, लेकिन इस दौर का रिकार्ड देखें तो सरकार ने पात्र विद्यार्थियों को खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया। इसके तहत 316.79 करोड़ रुपए सीधे उनके खाते में ट्रांसफर किए गए। वहीं, खाद्यान्न वितरण भी हुआ, जबकि हकीकत में न तो बच्चों के खाते में राशि पहुंची और न किसी को खाद्यान्न मिला।
हाल ही में विधानसभा सत्र के दौरान पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने मध्याह्न भोजन के नाम पर खाद्य सुरक्षा भत्ते में फर्जीवाड़े का मामला उठाया था। आरोप लगाया कि कोरोनाकाल में यह राशि कागजों पर दर्शाई गई है। इसकी उन्होंने जांच की मांग की थी। इस पर पंचायत मंत्री महेन्द्र ङ्क्षसह सिसौदिया ने लिखित जवाब में फर्जीवाड़े से साफ इनकार किया। इसी में मंत्री ने दावा किया कि मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के तहत 18 मार्च से 31 जुलाई तक कुल 110 शैक्षणिक दिवसों के लिए खाद्य सुरक्षा भत्ता के रूप में भोजन पकाने की 316 करोड़ 79 लाख 74 हजार 928 रुपए की राशि विद्यार्थियों या उनके अभिभावकों के बैंक खाता में ट्रांसफर की गई।


ऐसी है जमीनी हकीकत

कोई राशि नहीं आई
शिवपुरी के पिश्ता कुशवाह ने बताया कि मेरी तीन बेटियां और एक बेटा है। हाथीखाना स्थित आंगनबाड़ी केंद्र पर यदा-कदा ही पोषण आहार के पैकेट मिलते हैं। सरकार बच्चों को पोषण आहार नहीं दे पा रही तो पैसा कैसे देगी। हमारे खाते में कोई भी राशि नहीं भेजी गई।
आर्थिक सहायता नहीं

मुरैना के विकास यादव ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के चलते और बाद में सोशल डिस्टेंसिंग व अन्य प्रतिबंधों के चलते आंगनबाडिय़ों पर बच्चे गए नहीं। स्कूल भी बंद थे। मेरा बेटा भी नहीं गया। सरकार से कोई भी आर्थिक मदद मिली नहीं है।

4 बच्चे, 2 को आहार
शिवपुरी की रानी कुशवाह ने बताया कि हमें तो केंद्र से पोषण आहार के पैकेट भी तभी मिलते हैं, जब हम वहां लेने जाते हैं। मेरे चार बच्चे हैं, लेकिन पोषण आहार केवल दो बच्चों का दिया जा रहा है। हमारे खाते में सरकार ने कोई पैसा नहीं डाला है। गरीबों की कोई नहीं सुनता।

सिर्फ राशन ही मिला
भिंड के नूर मोहम्मद खान मेरी दो बेटी और एक बेटा है। तीनों प्राथमिक-माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत हैं। उन्हें मध्याह्न भोजन के नाम पर सूखा राशन तो मिला, लेकिन बच्चों के बैंक खातों में एक रुपया भी नहीं डाला गया है।

मदद नहीं मिली
मुरैना के लालू यादव के अनुसार मेरे बेटे का नाम देवकरण आंगनबाडी केंद्र शिकारपुर
में दर्ज है। लॉकडाउन में केंद्र बंद रहने से वह नहीं जा रहा है, लेकिन सरकारी स्तर से घर पर तो कोई मदद नहीं मिली है। आर्थिक मदद तो दूर सूखा राशन तक नहीं मिला।

कोई राशि नहीं मिली
भिंड के रामकुमार खिरकिया के मताबिक मेरे दो बेटे व एक बेटी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। उनका नाम आंगनबाड़ी केंद्र में भी दर्ज है। शासन की ओर से बैंक खाते में धनराशि नहीं आई है और न ही राशन मिला है।
इन जिलों में सबसे अधिक राशि बांटी
छतरपुर में 11.70 करोड़
सागर में 11.48 करोड़
धार में 10.55 करोड़
खरगोन में 09.50 करोड़
सतना में 09.38 करोड़
मुरैना में 09.33 करोड़
शिवपुरी में 09.10 करोड़
टीकमगढ़ में 08.58 करोड़
छिंदवाडा में 08.50 करोड़
रीवा में 08.71 करोड़
69441 टन खाद्यान्न वितरण का भी दावा
पंचायत मंत्री सिसौदिया का दावा है कि लॉकडाउन के दौरान 69441.02 टन खाद्यान्न का आवंटन किया गया, जबकि पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि कई बच्चों को खाद्यान्न मिला ही नहीं।
https://youtu.be/Hl8EDELWRqg

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