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प्रदेश की 33 प्रतिशत ग्रामीण आबादी शौच के लिए नहीं कर रही ईज्जतघर का उपयोग

locationभोपालPublished: May 21, 2022 07:47:59 pm

ग्रामीण भारत की 25 प्रतिशत आबादी कर रही खुले में शौचएनएफएचएस-5 के सर्वे में हुआ खुलासा

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भारत के ग्रामीण इलाकों में आज भी 25 से ज्यादा आबादी खुले में शौच करती है। वहीं शहरी क्षेत्र की बात करें तो करीब 6 प्रतिशत आबादी खुले में शौच कर रही है। खैर इन आंकड़ों में राहत की बात ये है कि साल 2015-16 के मुकाबले खुले में शौच करने वालों के आंकड़े में सुधार हुआ है। साल 2015-16 में जहां ग्रामीण इलाकों में 54 प्रतिशत से ज्यादा लोग खुले में शौच करते थे तो वहीं शहरी क्षेत्रों में ये आंकड़ा 10.5 प्रतिशत था। कुलमिलाकर आंकड़ों पर गौर करें तो शहर के अपेक्षाकृत गांवों में खुले में शौच करने वाले लोगों में 25 प्रतिशत की कमी आई है। इसका मतलब खुले में शौच करने को लेकर ग्रामीण आबादी में जागरूकता बढ़ी है। बता दें केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारें तक लगातार खुले में शौच करने की आदत को खत्म करने के लिए प्रयासरत हैं।
प्रदेश की 33% ग्रामीण आबादी नहीं कर रही इज्जतघर का उपयोग

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है कि मध्यप्रदेश की 33 प्रतिशत से ज्यादा ग्रामीण आबादी खुले में शौच करती है। वहीं शहर की बात करें तो शहर में ये आंकड़ा करीब 7 प्रतिशत है। चिंता की बात ये है कि मध्यप्रदेश अभी भी उन शीर्ष राज्यों में शुमार है जहां ज्यादा लोग इज्जतघर का प्रयोग नहीं करते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सबसे ज्यादा खुले में शौच करने वाले राज्यों की सूची में एमपी शीर्ष 5वें नंबर है। तो शहरी क्षेत्र वाले राज्यों की सूची में एमपी 6वें नंबर है।
ग्रामीण आबादी खुले में शौच को लेकर तेजी से बदल रही सोच
एनएफएचएस सर्वे रिपोर्ट की पड़ताल करने पर पता चला की खुले में शौच करने को लेकर ग्रामीण आबादी की सोच में तेजी से बदलाव हुआ है। 2015-16 में जहां पूरे ग्रामीण भारत की 54 प्रतिशत यानी की आधी से ज्यादा आबादी खुले में शौच करती थी। तो वहीं साल 2020-21 में 25 प्रतिशत की गिरावट के साथ ये आंकड़ा 25.9 प्रतिशत में आ गया। यानी की भारत की अभी भी 25.9 प्रतिशत ग्रामीण आबादी खुले में शौच कर रही है।
ग्रामीण इलाकों में खुले में शौच करने वाले शीर्ष 6 राज्य
राज्य—-प्रतिशत
बिहार—43.9%

झारखंड—41.0%

उडीसा—-37.0%

तमिलनाडू—33.9%

मध्यप्रदेश—33.3%

गुजरात—31.4%
(स्त्रोत- एनएफएचएस- 5)

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