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नहीं मान्य होगा सरकारी आदेश, अवैध ही रहेंगी राज्य की 3800 कालोनियां

locationभोपालPublished: Jun 04, 2019 02:18:40 pm

Submitted by:

Amit Mishra

सख्त फैसला : ग्वालियर खंडपीठ का फैसला, अधिकारियों पर भी होगी कार्रवाई, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी अवैध कॉलोनियों को वैध करने की शुरुआत

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भोपाल। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने प्रदेश की अवैध कॉलोनियों को वैध करने के सरकारी आदेश को अमान्य कर दिया है। कोर्ट ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के लिए लाई गई धारा 15-ए को शून्य कर दिया है। इस आदेश से प्रदेश की 3879 कॉलोनियों को वैध करने की कार्यवाही समाप्त हो गई है। अब ये कॉलोनियां फिर से अवैध हो गई हैं।

अब इन कॉलोनियों के भूखंडों की रजिस्ट्री भी शून्य हो सकती है।निगम नई व्यवस्था होने के बाद रहवासियों को भूखंडों को फिर दे सकेंगे। हालांकि हाईकोर्ट ने नगर निगम अधिनियम की धारा 292-ई के तहत अवैध कॉलोनियों को नियमित किए जाने की स्वतंत्रता सरकार को दे दी है। अवैध कॉलोनियों की बसाहट के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई के आदेश भी दिए हैं।

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अवैध कॉलोनाइजरों को पहुंचाया फायदा
न्यायमूर्ति संजय यादव एवं न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की युगलपीठ ने यह आदेश उमेश बोहरे की याचिका पर दिया। प्रदेश की अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया पिछली शिवराज सरकार ने 2018 में शुरू की थी।

खत्म करने का आदेश दे दिया
याचिकाकर्ता का कहना था कि भाजपा सरकार ने यह घोषणा चुनाव में लाभ लेने के लिए की थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया था कि शिवराज सरकार ने धारा 15-ए का दुरुपयोग कर अवैध कॉलोनाइजरों को फायदा पहुंचाया। हाईकोर्ट की पीठ ने कॉलोनियों को धारा 15-ए के तहत वैध करने के सरकार के निर्णय को गलत ठहराते हुए धारा 15-ए को ही खत्म करने का आदेश दे दिया।

हाईकोर्ट ने सरकार को दिखाया रास्ता
हाईकोर्ट ने नगर निगम के कॉलोनाइजर नियम की धारा 15-ए को खत्म करने के आदेश के साथ ही सरकार को अवैध कॉलोनियों को वैध करने का रास्ता भी सुझाया है। कोर्ट ने सरकार को यह स्वतंत्रता दी है कि वह धारा 292-ई का इस्तेमाल कर कॉलोनियों को वैध कर सकती है। कोर्ट याचिकाकर्ता के इस तर्क से सहमत है कि धारा 15-ए के तहत वैध करने से अवैध कॉलोनियों के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

 

प्रदेश में फिर अवैध हुईं ये कॉलोनियां

हाईकोर्ट के इस फैसले से प्रदेश की 3879 कॉलोनियां फिर से अवैध होने के दायरे में आ गई हैं। इन्हें तत्कालीन शिवराज सरकार ने चुनाव से ठीक पहले धारा 15-ए के तहत वैध कर दिया था। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, अवैध कॉलोनियों को बसाने के दौरान जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ भी निगम की धारा 292-ई के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए। उस सर्किल के डिप्टी कलेक्टर, तहसीलदार, आरआई और अवैध कॉलोनाइजर के खिलाफ कार्रवाई हो। इससे अवैध कॉलोनियां बसने से रुकेंगी।

हाईकोर्ट के फैसले को देखने के बाद ही कुछ कह पाउंगा। जरूरत पडऩे पर हम हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।
संजय दुबे, प्रमुख सचिव, नगरीय विकास एवं आवास विभाग

भोपाल में वैध होने के करीब थीं 137 कॉलोनियां

अवैध कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया रद्द करने का असर शहर की 137 कॉलोनियों पर होगा। एक साल में ननि की भवन अनुज्ञा शाखा ने 146 अवैध कॉलोनियों में से 137 को नियमित करने की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। संबंधित अफसरों का कहना है कि अब जो निर्देश होंगे, उसके अनुसार आगे की कार्रवाई होगी। इसके लिए जोनवार शिविर लगाए गए, लेकिन निगम अफसरों को कॉलोनियों से जुडे़ पुख्ता दस्तावेज नहीं मिल पाए थे।


रहवासियों को बुलाकर जिसके पास जो दस्तावेज थे, उनसे लिए गए। कॉलोनी की मैपिंग की गई, इसके बाद तय शर्त व नियमों के आधार पर नियमित किया गया। बीते करीब दस माह से ये प्रक्रिया निगम स्तर पर चल रही थी।

चरणबद्ध तरीके से 421 कॉलोनियों को वैध करना था। पहले चरण में 146 कॉलोनियों को लिया गया था। इसमें 70 से अधिक कॉलोनियां बड़ा तालाब कैचमेंट क्षेत्र में ही है। 22 कॉलोनियां तो नीलबड़, रातीबड़ जैसे बड़ा तालाब से सटे क्षेत्रों में ही विकसित हो गई।

मिलीभगत भी हुई थी
इस प्रक्रिया में एक नाम से अलग-अलग क्षेत्रों में कॉलोनियां विकसित हो गई थी। 2016 के बाद की नव विकसित अवैध कॉलोनी को भी इसमें पुरानी कॉलोनी के नाम पर शामिल कर नियमितीकरण की प्रक्रिया करने के आरोप लगे थे। तालाब के कैचमेंट की अवैध कॉलोनियों को नियमित कर यहां कैचमेंट खत्म करने के आरोप भी थे।

 


हमने तो 137 कॉलोनियों को लेकर पूरी प्रक्रिया कर ली थी। अब शासन के जैसे निर्देश होंगे उसके अनुरूप काम करेंगे।
विजय सावलकर, चीफ सिटी प्लानर नगर निगम भोपाल

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