कोर्ट के आदेश में बाद भी महंगाई राहत का मामला फाइलों में उलझा है। अब सरकार कोर्ट की अवमानना का सामना कर रही है। वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ था। उस दौरान रिटायर कर्मचारियों का मामला सामने आया। उसको लेकर धारा 49 के तहत यह प्रावधान रखा गया कि, जो कर्मचारी रिटायर हुए हैं, उनकी पेंशन का खर्च आबादी के हिसाब से राज्य उठाएंगे। इसके तहत छत्तीसगढ़ 26 प्रतिशत और मध्य प्रदेश 74 प्रतिशत खर्च मध्य प्रदेश उठा रहा है, लेकिन इसके बाद रिटायर कर्मचारियों के लिए यह व्यवस्था नहीं थी।
इस संबंध में मध्य प्रदेश पेंशनर्स एसो. के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेश दत्त जोशी का कहना है कि, अफसरों ने दोनों राज्यों की सहमति का अड़ंगा लगाकर मौजूदा पेंशनर्स के मामले में भी पेंच फंसा दिया है।
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ऐसा जरूरी नहीं
जानकारों का कहना है कि सभी राज्यों के कार्य करने का अपना तरीका होता है। राज्य संसाधनों के हिसाब से निर्णय लेते हैं। इसलिए जरूरी नहीं कि मध्य प्रदेश सरकार जो निर्णय ले, वैसा ही निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार भी ले।
नहीं मिला 59 माह का एरियर
-32 माह का एरियर अटका छठे वेतनमान का वर्ष 2000 के पेंशनर्स का।
-27 माह के एरियर का भुगतान भी नहीं राज्यों की सहमति के चक्कर में सातवें वेतनमान का। कोर्ट के आदेश के बावजूद यह मामला भी फाइलों में कैद है।
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