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राजधानी में हार्ट अटैक पीडि़तों में 40 फीसदी से ज्यादा युवा

locationभोपालPublished: Sep 27, 2018 04:34:08 pm

Submitted by:

Rohit verma

हार्ट-डे पर पत्रिका ने डॉक्टरों के पैनल से की दिल की सुरक्षा को लेकर बातचीत

heart news

40 percent of ‘heart attack victims’ in capital

भोपाल. राजधानी के युवाओं में हृदयाघात की समस्या तेजी से बढ़ रही है। समय रहते इसे रोकने के उपाय नहीं किए गए, तो आने वाले समय में महामारी का रूप अख्तियार कर सकती है। यह कहना है, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों के पैनल का। पैनल के डॉक्टरों ने हार्ट-डे पर पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि हृदय रोग रोकने का एक मात्र तरीका युवाओं को शिक्षित करना है, वरना 2020 तक सबसे अधिक मौत हृदय रोग के कारण ही होगी। युवा अपनी दिनचार्या ठीक कर हृदय रोग से बच सकते हैं।

भोपाल में हार्ट रोगी ज्यादा
पहले दिल के दौरे का संबंध बढ़ती उम्र के साथ माना जाता था, लेकिन अब अधिकतर युवा उम्र के 20 से 40 साल के बीच ही दिल की बीमारियों से पीडि़त हो रहे हैं। राजधानी में लगभग 10 में से 4 युवा इससे पीडि़त हैं। देश के हार्ट हॉस्पिटल्स में दो लाख से अधिक ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है, इसमें सालाना 25 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है। यह सर्जरी केवल तात्कालिक लाभ के लिए होती है। इससे बचाव के लिए जीवनशैली में परिवर्तन, दवाएं और नॉन-इंवेसिव उपचार शामिल है।
डॉ. सुब्रतों मंडल, हार्ट विशेषज्ञ

 

तनाव और मोटापा भी कारण
यु वाओं में हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। तकरीबन &0 से &9 वर्ष के लोगों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है। कोलेस्ट्रॉल, तनाव, मोटापा आदि बीमारियां भी हार्ट अटैक का कारण होती हैं। अमेरिका के रिसर्च के मुताबिक 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हो चुकी। इसमें से 2.& करोड़ लोगों की उम्र 40 साल से कम है। यानी 40 फीसदी हार्ट के मरीज 40 साल से कम हैं। भारत के लिए ये आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हंै।
डॉ. प्रवीर झा, हार्ट सर्जन

साइलेंट अटैेक को समझें
हा र्ट अटैक का सबसे बड़ा लक्षण सीने में तेज दर्द का होना है। दर्द से घबराहट होने लगती है। एहसास होता है कि सीने को कुचला जा रहा है। ऐसी अनुभूति हमेशा नहीं, जब दिल तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती तो दिल का दौरा पड़ता है। आमतौर पर हमारी धमनियों के रास्ते में किसी तरह की रुकावट आने की वजह से खून दिल तक नहीं पहुंच पाता। सीने में तेज़ दर्द होता है, लेकिन कभी-कभी दिल के दौरे में दर्द नहीं होता, इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है।
डॉ. आदर्श बाजपेयी, एमडी मेडिसन

 

अटैक से बचा सकता है योग
य दि कोई महिला स्मोकिंग करती है या गर्भ निरोधक पिल्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करती रही है, तो प्राकृतिक रूप से उसके शरीर की हार्ट अटैक से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है। कई तरह के शोध हैं, जिसमें पाया गया है कि महिलाएं अक्सर सीने में दर्द को नजरअंदाज कर देती हैं और इलाज देर से मिलता है। हार्ट अटैक से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत है। योग द्वारा हार्ट अटैक से बचा जा सकता है। योग से तनाव दूर होता है और मन शांत रहता है।
डॉ. जीसी गौतम, हृृदय रोग विशेषज्ञ

तनाव और मोटापा भी कारण
यु वाओं में हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोत्तरी हुई है। तकरीबन 30 से 39 वर्ष के लोगों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ गया है। कोलेस्ट्रॉल, तनाव, मोटापा आदि बीमारियां भी हार्ट अटैक का कारण होती हैं। अमेरिका के रिसर्च के मुताबिक 2015 तक भारत में 6.2 करोड़ लोगों को दिल से जुड़ी बीमारी हो चुकी। इसमें से 2.3 करोड़ लोगों की उम्र 40 साल से कम है। यानी 40 फीसदी हार्ट के मरीज 40 साल से कम हैं। भारत के लिए ये आंकड़े अपने आप में चौंकाने वाले हैं।
डॉ. प्रवीर झा, हार्ट सर्जन

साइलेंट अटैेक को समझें
हार्ट अटैक का सबसे बड़ा लक्षण सीने में तेज दर्द का होना है। दर्द से घबराहट होने लगती है। एहसास होता है कि सीने को कुचला जा रहा है। ऐसी अनुभूति हमेशा नहीं, जब दिल तक खून की आपूर्ति नहीं हो पाती तो दिल का दौरा पड़ता है। आमतौर पर हमारी धमनियों के रास्ते में किसी तरह की रुकावट आने की वजह से खून दिल तक नहीं पहुंच पाता। सीने में तेज़ दर्द होता है, लेकिन कभी-कभी दिल के दौरे में दर्द नहीं होता, इसे साइलेंट हार्ट अटैक कहा जाता है।
डॉ. आदर्श बाजपेयी, एमडी मेडिसन

अटैक से बचा सकता है योग
यदि कोई महिला स्मोकिंग करती है या गर्भ निरोधक पिल्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करती रही है, तो प्राकृतिक रूप से उसके शरीर की हार्ट अटैक से लडऩे की क्षमता कम हो जाती है। कई तरह के शोध हैं, जिसमें पाया गया है कि महिलाएं अक्सर सीने में दर्द को नजरअंदाज कर देती हैं और इलाज देर से मिलता है। हार्ट अटैक से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने की जरूरत है। योग द्वारा हार्ट अटैक से बचा जा सकता है। योग से तनाव दूर होता है और मन शांत रहता है।
डॉ. जीसी गौतम, हृृदय रोग विशेषज्ञ

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