हैरानी की बात यह है कि कॉलेजों के इस फर्जीवाड़े के बारे में विभाग से लेकर प्रशासन और अफसर बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। हर साल इन कॉलेजों को मान्यता भी मिल जाती है। कॉलेज संचालकों को जिस कोर्स की मान्यता लेनी होती है उस कॉलेज का बोर्ड मैन गेट पर लगा दिया जाता है।
नर्सिग कॉलेज की मान्यता के लिए 100 बेड का अस्पताल होने की शर्त भी होती है। वही एक ही बिल्डिंग में एक साथ पांच कोर्स चलाए जाने पर संचालक चालाकी से फोटो और वीडिय़ों बनाने के बाद भी धोखा देने में माहिर हो गए हैं। प्रदेश में लगभग हर जिले में नर्सिंग, फार्मेसी, मैनेजमेंट, बीएड कॉलेजों को एक ही बिल्डिंग से संचालित किया जा रहा है। खास बात यह है कि इन कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को कॉलेज में पढ़ाया नहीं जाता है केवल परीक्षा देने आना होता है। क्योंकि अगर सभी कोर्स के छात्र कॉलेज आ गए तो उनको बिठाने तक की जगह कॉलेज बिल्डिंग में नहीं होगीष। अब उच्च न्यायालय में मामला पहुंचने के बाद इस घोटाले की जांच राज्य सरकार के अफसर कर रहे हैं।
हाई कोर्ट में इस मामले के संबंध में सुनावई जारी है इसी मामले पर एक वकील ने बताया कि कॉलेज की जांच करने टीम जब एक कॉलेज पहुंची तो हैरान ही रह गई, कई कॉलेजों को फर्जी पते पर दिखाया गया है। कहीं कॉलेज के नाम पर दुकान, तबेला तो कहीं स्पा संचालित होता मिला है। कोर्ट में याचिकाकर्ता ने बताया है कि प्रदेश के इन संस्थानों में अप्रशिक्षित, अपात्र व्यक्ति पैरामेडिकल स्टाफ या नर्सिंग स्टाफ बनाया जा रहा है, जो समाज के लिए भविष्य में खतरा बनेगा।