
दुनिया भर में विस्थापन के आंकड़ों पर काम करने वाली संस्था इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर के मुताबिक, दुनिया भर में साल 2021 में 1.4 करोड़ लोगों ने राजनीतिक और दूसरी हिंसा के चलते जबरन विस्थापन का दर्द झेला है। जबकि भारत में 2021 में महज 13 हजार लोगों ने इस दर्द को झेला है। इसमें कश्मीर विस्थापन छुट-पुट ही रहा। सबसे ज्यादा विस्थापन पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के कारण हुआ। इससे यहां पर 11 हजार लोगों को विस्थापित होना पड़ा। हालांकि देश के भीतर जबरन विस्थापित जीवन जी रहे लोगों की संख्या 5.05 लाख है, जिनमें 2.83 लाख लोग अकेले कश्मीर से विस्थापन झेल रहे हैं।
दुनिया भर में जबरन विस्थापित लोगों का आंकड़ा 2022 में बढ़कर 10 करोड़ को पार कर गया है। संयुक्त राष्ट्र के रिफ्यूजी कमिश्नर के आंकड़ों के मुताबिक, यूक्रेन और रूस के युद्ध से विस्थापित होने वाले लोगों की संख्या में तेजी आई है। 2 जून तक के आकंड़े कहते हैं कि यूक्रेन से अब तक 68 लाख लोगों ने देश छोड़कर दूसरी जगहों पर खुद को विस्थापित किया है।
देश में जबरन विस्थापन का शिकार
साल विस्थापित
2009 — 33
2010 — 106.05
2011— 53
2012— 500
2013— 64
2014 — 345
2015 — 1
2016 — 448.4
2017 — 78.5
2018 — 169.3
2019 — 19
2020 — 3.9
2021 — 13 स्त्रोत: आंकड़े इंटरनल डिस्प्लेसमेंट मॉनिटरिंग सेंटर से। (सभी आंकड़े हजार में)
18 लाख लोग 2008 से लेकर अब तक जबरन विस्थापित हुए
5.05 लाख लोग अभी भी बेघर हैं, विस्थापन का शिकार
2.83 लाख लोग जम्मू—कश्मीर के हालातों से विस्थापित हैं अभी भी
13 हजार लोग विस्थापित हुए 2021 में
11 हजार लोग 2021 में पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा के बाद हुए विस्थापित
1500 लोग त्रिपुरा में हुए, धार्मिक उन्माद के बाद
49 लाख लोगों ने साल 2021 में विस्थापन का दर्द झेला
241 आपदाओं के शिकार हुए भारतीय 2008 से 2021 के बीच
दुनिया भर में जबरन कुल विस्थापित 2017 — 6.8 करोड़
2018 — 7.08 करोड़
2019 — 7.9 करोड़
2020 — 8.2 करोड़
2021 — 9 करोड़
2022 — 10 करोड़, आंकड़े मई तक के — आंकड़े रिफ्यूजी कमिश्नर,संयुक्त राष्ट्र के