यह स्थिति तब है जब सरकारी अस्पताल और बीमा निगम की ओपीडी में रोजाना एक हजार से ज्यादा मरीज उपचार कराने पहुंचते हैं। शहरी व आसपास ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के उपचार के लिए शहर में 30 बिस्तरों का सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र है। यहां केवल महिलाओं को प्रसूति की सुविधा उपलब्ध है, अन्य रोगों का उपचार ओपीडी में होता है। यदि कोई गंभीर रोग से पीडि़त है तो उसे भोपाल रेफर कर दिया जाता है।
सड़क हादसों में घायलों को आमतौर 108, पुलिस वाहन पहले सरकारी अस्पताल ले जाते हैं, पर वहां भी प्राथमिक उपचार ही मिलता है। ऐसे में कई बार गंभीर घायल इलाज के अभाव में रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
बीमा अस्पताल भी नहीं
शहर के करीब 750 कारखानों में काम करने वाले कर्मचारियों को इएसआइ के रूप में प्रतिमाह एक बड़ी राशि बीमा निगम के पास जाती है। इसके बाद भी निगम सर्वसुविधायुक्त अस्पताल नहीं खोल रहा है। निगम कर्मचारियों को मंडीदीप, सतलापुर में ओपीडी की सुविधा है वह भी निश्चित समय के लिए। कुछ निजी अस्पतालों से अनुबंध है जो इस माह की 31 तारीख का खत्म हो जाएगा।
मंडीदीप में 50 बिस्तरों का सिविल अस्पताल स्वीकृत हो चुका है, भवन निर्माण का काम चल रहा है, इस वर्ष के अंत तक इसकी सुविधा लोगों को मिलने लगेगी।
सुरेन्द्र पटवा, विधायक भोजपुर
औद्योगिक शहर को देखते हुए यहां 100 बिस्तरों का सर्वसुविधायुक्त अस्पातल होना चाहिए, जिसमें सभी रोगों के विशेषज्ञ डॉक्टरों के होने के साथ ट्रामा सेंटर की भी सुविधा हो।
अब्दुल रहीम खान, रहवासी मंडीदीप
शहर में बीमा निगम करोड़ों रुपए की राशि प्रतिमाह मंडीदीप से प्राप्त करता है, इसे देखते हुए यहां एक सर्वसुविधायुक्त अस्पताल होना चाहिए।
दशरथ साहू, कर्मचारी