वर्ष 2016 में हाईकोर्ट ने प्रमोशन नियम निरस्त कर दिए थे। इन प्रमोशन नियमों के तहत आरक्षित वर्ग के अधिकारी-कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण का लाभ मिलता था। सामान्य वर्ग के कर्मचारियों को इसका सबसे ज्यादा नुकसान था। इसको लेकर कुछ संगठन कोर्ट गए थे। उनका तर्क था कि आरक्षण का लाभ सिर्फ एक बार मिलना चाहिए। नौकरी में आने के दौरान जब आरक्षण का लाभ का मिल चुका है तो फिर प्रमोशन में यह लाभ नहीं दिया जा सकता। प्रमोशन में आरक्षण की विसंगति को देखते हुए हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण के नियम निरस्त कर दिए। हालांकि हाईकोर्ट के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी। तब से यह मामला कोर्ट में ही उलझा हुआ है। कर्मचारियों के प्रमोशन भी नहीं हो रहे हैं। यानी जो कर्मचारी जिस पोस्ट पर है वह उसी पोस्ट से रिटायर होने को मजबूर है।
सरकारें बदलती रहीं, पर स्थिति नहीं सुधरी
राज्य कर्मचारियों के प्रमोशन न होने के कारण सरकार को समय-समय पर कर्मचारियों की नाराजगी भी झेलना पड़ी। नाराजगी को दूर करने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी। इससे कर्मचारियों का रिटायरमेंट रुक गया और कर्मचारियों को उम्मीद बंधी कि इस दौरान कोई रास्ता निकल आएगा लेकिन ये दो साल भी बीत गए, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। कर्मचारियों की नाराजगी का असर भाजपा सरकार को देखने को मिला। नाराजगी के चलते कर्मचारियों ने कांग्रेस का साथ दिया, लेकिन कांग्रेस सरकार भी कोई खास नहीं कर पाई। अब फिर से सत्ता में भाजपा काबिज है।
राज्य कर्मचारियों के प्रमोशन न होने के कारण सरकार को समय-समय पर कर्मचारियों की नाराजगी भी झेलना पड़ी। नाराजगी को दूर करने के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार ने कर्मचारियों की रिटायरमेंट एज 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी। इससे कर्मचारियों का रिटायरमेंट रुक गया और कर्मचारियों को उम्मीद बंधी कि इस दौरान कोई रास्ता निकल आएगा लेकिन ये दो साल भी बीत गए, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। कर्मचारियों की नाराजगी का असर भाजपा सरकार को देखने को मिला। नाराजगी के चलते कर्मचारियों ने कांग्रेस का साथ दिया, लेकिन कांग्रेस सरकार भी कोई खास नहीं कर पाई। अब फिर से सत्ता में भाजपा काबिज है।
अब तक ये प्रयास हुए
– वर्ष 2016 में प्रमोशन में आरक्षण नियम खारिज होने पर राज्य सरकार सुप्रीमकोर्ट गई।
– कमलनाथ सरकार ने कैबिनेट कमेटी का गठन किया। कमेटी ने उच्च पदनाम देने की अनुशंसा की। इस पर अमल होता इसके पहले ही सरकार अल्पमत में आ गई।
– विधानसभा में इसकी गूंज हुई। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने हाईपॉवर कमेटी गठन किया। इसमें मुख्यमंत्री सहित मंत्री और विधायकों को भी शामिल किया गया, लेकिन समिति की एक भी बैठक नहीं हो सकी।
– शिवराज सरकार ने कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के लिए उच्च पदनाम देने की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन यह पुलिस और जेल विभाग तक सीमित है।
– प्रमोशन का रास्ता निकालने के लिए कैबिनेट कमेटी का गठन हुआ है। कमेटी की हाल ही में बैठक भी हुई, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। अगली बैठक 2 फरवरी को होगी।
– वर्ष 2016 में प्रमोशन में आरक्षण नियम खारिज होने पर राज्य सरकार सुप्रीमकोर्ट गई।
– कमलनाथ सरकार ने कैबिनेट कमेटी का गठन किया। कमेटी ने उच्च पदनाम देने की अनुशंसा की। इस पर अमल होता इसके पहले ही सरकार अल्पमत में आ गई।
– विधानसभा में इसकी गूंज हुई। तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने हाईपॉवर कमेटी गठन किया। इसमें मुख्यमंत्री सहित मंत्री और विधायकों को भी शामिल किया गया, लेकिन समिति की एक भी बैठक नहीं हो सकी।
– शिवराज सरकार ने कर्मचारियों की नाराजगी दूर करने के लिए उच्च पदनाम देने की प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन यह पुलिस और जेल विभाग तक सीमित है।
– प्रमोशन का रास्ता निकालने के लिए कैबिनेट कमेटी का गठन हुआ है। कमेटी की हाल ही में बैठक भी हुई, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो सका। अगली बैठक 2 फरवरी को होगी।
मंत्री बोले
राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सुप्रीमकोर्ट का भी जो भी निर्णय होगा, उसका पालन किया जाएगा। कर्मचारियों को पदोन्नति देने के मामले में मंत्री समूह की बैठक में अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। अगली बैठक दो फरवरी को होगी।
राज्य सरकार के प्रवक्ता एवं गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि सुप्रीमकोर्ट का भी जो भी निर्णय होगा, उसका पालन किया जाएगा। कर्मचारियों को पदोन्नति देने के मामले में मंत्री समूह की बैठक में अभी कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। अगली बैठक दो फरवरी को होगी।