इस कारण सितंबर 2012 से जनवरी 2016 तक के लिए 51.79 करोड़ रुपए की छूट दे दी गई। खुलासा तब हुआ, जब ऑडिट दल ने डाटा एनालिसिस किया। ऊर्जा विभाग ने कार्रवाई की बजाए दूसरे बिल भी मंजूर कर दिए। दोनों प्लांटों को तय मानकों से ज्यादा छूट दी गई। 2006 की अधिसूचना के तहत कैप्टिव पॉवर प्लांट लगाने पर छूट मिलती है। इसमें 25 से 100 करोड़ निवेश पर 5 साल, 100 से 500 करोड़ निवेश पर 7 साल और 500 करोड़ से ज्यादा निवेश पर 10 साल तक शुल्क में छूट मिलती है। दोनों प्लांट मेें 161.16 करोड़ का निवेश हुआ। इसमें मानकों को नजरअंदाज किया।
किसने क्या कहा
ऊर्जा विशेषज्ञ अंकित अवस्थी के अनुसार बड़े पॉवर प्लांट्स स्थापित करने के लिए सरकार छूट देती है, लेकिन गलत तरीके से छूट नहीं दी जा सकती। बड़े समूहों के लिए नियमों में ढील देना गलत है। बिना आवेदन शुल्क छूट दी गई है, तो अफसरों से वसूलना चाहिए। ऊर्जा मंत्री पारस जैन ने कहा, पूरे प्रकरण की जानकारी ली जाएगी। कोई गलत छूट दी है, तो उस पर कार्रवाई करेंगे। कैप्टिव पॉवर प्लांट लगे हैं। विद्युत शुल्क नियमानुसार ही लिया जा रहा है। यह प्रकरण जानकारी में नहीं है। एसएस मुझाल्दे (चीफ इंजीनियर, ऊर्जा विभाग) ने कहा, स्थानीय स्तर पर बिजली कंपनी ने कोई छूट नहीं दी है। यह प्रकरण उच्च स्तर का है। यह विभाग स्तर पर तय होता है।