दस साल में 15 करोड़ खर्च
— 2012 में शहर की पार्किंग जोनल अधिकारियों के माध्यम से संचालित होती थी। एमपी नगर में तब तत्कालीन अपर आयुक्त जीपी माली ने अवैध वसूली पकड़ी और एफआईआर कराई थी।
— 2013 में शहर के ही स्लॉट आधारित पार्किंग रखरखाव का जिम्मा दिया। 5 ठेकेदारों ने अलग-अलग काम लिया, लेकिन कर्मचारी वाहन चालकों से अवैध वसूली व मारपीट करते।
— 2015 में स्मार्टसिटी के साथ ही पार्किंग की प्लानिंग चली।
— 2016 में हैदराबाद की माइंडटेक कंपनी को 25 लाख रुपए प्रतिमाह में 52 पार्किंग स्थल दिए। पार्किंग स्थलों पर सेंसर लगाने, सीसीटीवी कैमरों के साथ इलेक्ट्रॉनिक मशीनों से पर्ची देने, मोबाइल एप से पार्किंग का एडवांस स्लॉट बुकिंग की सुविधा।
रोजाना एक लाख वाहन बाजार में, पार्किंग की दिक्कत
रोजाना करीब एक लाख वाहन बाजार, सार्वजनिक जगहों पर पार्किंग स्थल की तलाश करते हैं। एमपी नगर से लेकर दस नंबर, न्यू मार्केट में बीच सड़क तक बेतरतीब वाहन लगे होते हैं। एमपी नगर में कोचिंग वालों के लिए पार्किंग का इंतजाम नहीं, इनके वाहनों से पूरी सड़कें जाम रहती है। पुराने शहर में भी यही स्थिति है।
इस संबंध में निगमायुक्त केवीएस चौधरी बताते हैं कि पार्किंग का रखरखाव संचालन जोन के जिम्मे किया है। इसके लिए बेहतर योजना तैयार कराई जा रही है। अब दिक्कत नहीं आएगी।