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60 लॉ स्टूडेंट्स ने शुरू किया ‘प्रोजेक्ट सारथी’, लॉकडाउन में टीम ने 34 केस सुलझाए

locationभोपालPublished: Aug 01, 2021 11:47:04 pm

Submitted by:

hitesh sharma

एनएलआइयू के स्टूडेंट्स की पहल, जरूरतमंद और गरीबों को दिला रहे हैं न्याय

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NLIU BHOPAL

भोपाल। राष्ट्रीय विधि संस्थान विश्वविद्यालय (एनएलआइयू) के स्टूडेंट्स विधिक सहायता केंद्र (एलएसी) के प्रोजेक्ट सारथी के तहत काम कर रहे हैं। जिसमें वे उन लोगों को न्याय दिलाने के लिए प्रयास कर रहे हैं जो कानूनी जानकारी नहीं होने के कारण न्याय के लिए घर से कभी बाहर नहीं निकल पाए। कोरोना काल में पिछले एक साल में वे इस प्रोजेक्ट के जरिए वे 34 लोगों की मदद कर चुके हैं।

पिछले एक साल से दे रहे हैं नि:शुल्क मदद
‘सारथी’ को-आर्डिनेटर प्रशस्ति सिंह ने बताया कि प्रोजेक्ट सारथी 2020 में शुरू किया था। इसके तहत लोगों को कानूनी सहायता, मामलों में मध्यस्थता तथा मानसिक स्वास्थ्य के लिए परामर्श सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। हमने 34 लोगों को इस मुहिम के तहत सहायता प्रदान की है। हेल्पलाइन की मदद से नि:शुल्क सेवा देते हैं।

‘न्याय सबके लिए’ है टीम की थीम
टीम से जुड़े पार्थ त्यागी ने बताया कि हम ‘न्याय सबके लिए’ थीम पर काम कर रह हैं। हमारी टीम में 60 स्टूडेंट्स हैं, जो फस्र्ट ईयर से फिफ्थ ईयर में पढ़ाई कर रहे हैं। इसमें 32 एडवोकेट भी शामिल हैं भी मध्यस्थता में मदद करते हैं। कोर्ट केस में वे मदद करते हैं। इसके साथ ही सभी को कानूनी सलाह भी दी जाती है।

काउंसलिंग में भी कर रहे हैं मदद
प्रशस्ति सिंह ने बताया कि एक महिला ने सास-ससुर और पति पर डोमेस्टिक वायलेंस का केस किया। महिला ने संपर्क कर केस के बारे में जाना। उसे उसके राइट्स बताए गए और कोर्ट में होने वाली प्रक्रिया से अवगत किया। उसकी ओर से कोर्स ब्रिफ भी तैयार किया। कोर्ट में केस जाने से पहले उनके बीच समझौता हो गया। अब पति-पत्नी साथ में रहने लगे हैं। वहीं, एक दंपत्ती के तलाक का केस आया। जिसमें पत्नी को शक था कि पति का किसी अन्य महिला से अफेयर चल रहा है। दोनों में अनबन थी। दोनों की ऑनलाइन ही मध्यस्थता की गई। इस दौरान दो बार सेशन लिया गया। हमारी टीम ने उन्हें समझया। दोनों ने रिश्ते का महत्व समझाया और तलाक का फैसला नहीं लिया। अब वे साथ में रहते हैं। इसी तरह एक केस दिल्ली से आया था। जिसमें एक किराएदार को उसका मकान मालिक परेशान करता था। वह सालों से वहां रहता था। किराएदार ने हमसे संपर्क किया और उसे रेंट एक्ट के बारे में जानकारी दी। किराएदार को उसके राइट्स बताए। जिसके बाद मालिक ने परेशान करना बंद कर दिया और मकान भी खाली नहीं कराया।

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