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हथाईखेड़ा डैम में 2 बच्चे डूबे, 15 दिन में डूबने से अब तक 7 की मौत

locationभोपालPublished: Sep 24, 2021 01:10:16 am

बुधवार को घर से निकले थे तीन बच्चे, एक रास्ते से ही लौट आया, बाकी दोनों बच्चे नहाते समय गहरे पानी में चले गए, पुलिस को डैम की पुलिया के पास गहरे पानी में उतराते मिले शव

हथाईखेड़ा डैम में 2 बच्चे डूबे, 15 दिन में डूबने से अब तक 7 की मौत

हथाईखेड़ा डैम में 2 बच्चे डूबे, 15 दिन में डूबने से अब तक 7 की मौत

भोपाल. हथाईखेड़ा डैम में डूबने से दो बच्चों की मौत हो गई। पुलिस को दोनों बच्चों के शव डैम की पुलिया के पास गहरे पानी में उतराते मिले। दोनों बच्चे बुधवार सुबह करीब 11 बजे से लापता थे, परिजनों ने लापता रिपोर्ट पिपलानी थाने में दर्ज कराई थी। पिछले 15 दिन में पानी में डूबने से कुल 7 लोगों की मौत हो चुकी है। इससे पहले 12 सितंबर को रायसेन के पचमढ़ी मिनी वाटर फॉल में नहाने गए तीन दोस्त पानी में डूब गए थे। दो दिन पहले हलाली डैम में दो बच्चे डूब गए थे और अब हथाईखेड़ा डैम में डूबने से दो बच्चों की मौत हुई है।
दोनों घर नहीं लौटे तो तलाशना शुरू किया

पुलिस ने बताया कि पिपलानी और आनंद नगर में रहने वाले अंशु एवं प्रिंस नामक दोनों बच्चे अपने तीसरे दोस्त लक्की के साथ बुधवार को घर से घूमने निकले थे। तीनों घूमते हुए हथाईखेड़ा डैम की तरफ जा रहे थे। इनमें से एक बच्चा लक्की वापस घर लौट गया था, जबकि दोनों हथाईखेड़ा डैम पहुंच गए थे। डैम में नहाने के दौरान गहरे पानी में चले गए और डूब गए। दोनों घर नहीं लौटे तो परिजन ने उन्हें तलाशना शुरू किया। गुरुवार को दोनों की लाश पानी में मिली। पुलिस ने मर्ग कायम कर बच्चों के शव परिजनों के सुपुर्द कर दिए हैं घटना के बाद से परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
घरों में छाया मातम
हादसे में मृत अंशु के पिता नवरंग होटल में काम करते हैं और परिवार के मुखिया हैं। इसी प्रकार दूसरे मृत बच्चे प्रिंस के पिता एक प्राइवेट जॉब करते हैं। दोनों परिवार में बच्चों की मौत पर मातम छाया हुआ है। परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनके बच्चे आम दिनों की तरह घर से खाना खाकर खेलने निकले थे। परिजन बोले कि उन्हें क्या पता था कि बच्चों ने डैम जाने का फैसला कर लिया है। पिपलानी टीआई चैन सिंह रघुवंशी ने बताया कि दोनों बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट थाने में दर्ज हुई थी। गुरुवार को दोनों के शव बरामद हुए हैं। मामले की जांच की जा रही है।
कोई देखने वाला होता तो बच जाता मेरा शरद: पिता
तीन दिन पहले अपने सात साल के बेटे शरद को खोने वाले मोहन माली दुख से उबर नहीं पा रहे हैं। मोहन का कहना है कि, इस नदी ने मेरे बेटे को छीन लिया। साथ ही नहा रहे युवराज की जान जल्दी मदद मिलने से बच गई, यदि किनारे पर कोई देखने वाला होता तो मेरे शरद ही नहीं पर्व की जान भी बच जाती। बच्चे को रोकना मुश्किल है लेकिन सभी घाट, डैम पर यदि कोई देखने, टोकने या दुर्घटना के समय बचाने वाला हो तो हर साल सैंकड़ों जान बच सकती हैं। सभी बांधों पर
सुरक्षा के इंतजाम होना चाहिए, केवल बोर्ड लगाना काफी नहीं है।
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