हादसे में मृत अंशु के पिता नवरंग होटल में काम करते हैं और परिवार के मुखिया हैं। इसी प्रकार दूसरे मृत बच्चे प्रिंस के पिता एक प्राइवेट जॉब करते हैं। दोनों परिवार में बच्चों की मौत पर मातम छाया हुआ है। परिजनों ने पुलिस को बताया कि उनके बच्चे आम दिनों की तरह घर से खाना खाकर खेलने निकले थे। परिजन बोले कि उन्हें क्या पता था कि बच्चों ने डैम जाने का फैसला कर लिया है। पिपलानी टीआई चैन सिंह रघुवंशी ने बताया कि दोनों बच्चों के लापता होने की रिपोर्ट थाने में दर्ज हुई थी। गुरुवार को दोनों के शव बरामद हुए हैं। मामले की जांच की जा रही है।
तीन दिन पहले अपने सात साल के बेटे शरद को खोने वाले मोहन माली दुख से उबर नहीं पा रहे हैं। मोहन का कहना है कि, इस नदी ने मेरे बेटे को छीन लिया। साथ ही नहा रहे युवराज की जान जल्दी मदद मिलने से बच गई, यदि किनारे पर कोई देखने वाला होता तो मेरे शरद ही नहीं पर्व की जान भी बच जाती। बच्चे को रोकना मुश्किल है लेकिन सभी घाट, डैम पर यदि कोई देखने, टोकने या दुर्घटना के समय बचाने वाला हो तो हर साल सैंकड़ों जान बच सकती हैं। सभी बांधों पर
सुरक्षा के इंतजाम होना चाहिए, केवल बोर्ड लगाना काफी नहीं है।