बैंकिंग एक्सपर्ट का कहना है कि 200 रुपए के नए नोट के लिए एटीएम की कैश -ट्रे में बदलाव का काम अब तक 52 फीसदी ही हुआ है। 48 फीसदी होना बाकी है। जो एटीएम कैलिब्रेट नहीं हुए हैं, उनमें 200 रुपए के नोट ही नहीं डाले जा रहे।
वैवाहिक सीजन के चलते नकदी बैकों से निकलकर बाजारों में पहुंच रही है। लोग जरूरत के हिसाब से बैंकों से नकदी निकाल रहे हैं। यह पैसा वापस बैंकों में नहीं जा रहा। इसी प्रकार कृषि सीजन होने के कारण बैंकों का पैसा किसानों के पास ज्यादा पहुंच रहा है। यह भी रुपयों की कमी का एक कारण माना जा रहा है। रुपयों की निकासी के लिए बैंक की शाखाओं और एटीएम तक में लोगों को परेशान होता हुआ देखा जा रहा है।
सेन्ट्रल के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक गत वर्ष मई में दो हजार के नोटों की छपाई बंद कर दी गई थी। इसके बदले दो सौ और पांच सौ रुपए के नोटों को लाया गया। अगर दो हजार के नोटों से एटीएम को भरा जाए तो 60 लाख रुपए तक आ जाते हैं। पांच सौ और सौ के नोटों से ये क्षमता लगभग 15 से 20 लाख रुपए रह गई है। नोटों की कमी का एक कारण यह भी है।
हां, यह सही है कि नोटों की कमी है। डिमांड एकाएक बढ़ गई है। ज्यादातर रुपए किसानों के खातों में जा रहे हैं। लेकिन चिंता की कोई बात नहीं है। एकाध सप्ताह में कैश की स्थिति सुधर जाएगी। ग्राहकों को डिजिटल मोड का उपयोग बढ़ाना चाहिए।