script70 कठपुतलियों ने सुनाई राम जन्म की कथा | 70 puppets narrated the story of Ram's birth | Patrika News

70 कठपुतलियों ने सुनाई राम जन्म की कथा

locationभोपालPublished: Oct 21, 2019 04:09:04 pm

Submitted by:

hitesh sharma

पांच दिवसीय राष्ट्रीय पुतुल समारोह का समापन

70 कठपुतलियों ने सुनाई राम जन्म की कथा

70 कठपुतलियों ने सुनाई राम जन्म की कथा

भोपाल। जनजातीय संग्रहालय में कठपुतली कला की विविध शैलियों पर एकाग्र राष्ट्रीय पुतुल समारोह में रविवार को दिलीप मासूम ने अपने साथी कलाकारों के साथ धागा पुतली शैली में कठपुतलियों का नृत्य प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में राजस्थानी लोक गीतों पर कठपुतलियों का नृत्य प्रस्तुत किया गया। प्रस्तुति की शुरुआत होली में उड़े रे गुलाल… गीत पर कठपुतलियों के नृत्य से हुई।

 

इसके बाद कलाकारों ने जल बदली रो साइयां पानी और हौजी रे दीवाना… गीतों पर कठपुतली नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद कलाकारों ने अपने कठपुतली संचालन कौशल से ‘कालबेलिया नृत्य’ प्रस्तुत कर सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके बाद कलाकारों ने अंजन की सीटी में मारो और बनीका मोयारे गीत पर कठपुतली नृत्य प्रस्तुत किया। दिलीप मासूम ने अपने साथी कलाकारों के साथ पल्लो लटके गीत पर धागा शैली में कठपुतलियों का नृत्य प्रस्तुत करते हुए अपनी प्रस्तुति को विराम दिया।

70 कठपुतलियों ने सुनाई राम जन्म की कथा

सुराज गीतों में गांधी का संदेश
सरिता साज(नई दिल्ली) ने अपने साथी कलाकारों के साथ महात्मा गांधी के 150वें जन्मवर्ष के अवसर पर सुराज गीतों का गायन संग्रहालय सभागार में प्रस्तुत किया। गायन प्रस्तुति की शुरुआत कलाकारों ने गांधी सोहर गीत बाजेला बधाई अंगनवा प्रस्तुत कर की। इसके बाद कलाकारों ने चरखा और खादी आंदोलन गीत चरखा चलत बा हर-हर और चरखा के टूटे न तार प्रस्तुत कर सभागार में मौजूद श्रोताओं को अपने गायन-वादन कौशल से मंत्रमुग्ध कर दिया। सरिता साज ने अपने साथी कलाकारों के साथ नील खेती से मुक्ति पर आधारित गीत अब न सहब हम जुलमिया प्रस्तुत करते हुए अपनी गायन प्रस्तुति को विराम दिया।

70 कठपुतलियों ने सुनाई राम जन्म की कथा

राम-रावण का युद्ध रहा रोचक
इसके बाद भारतीय लोक कला मंडल(उदयपुर) के कलाकारों ने धागा पुतली शैली में रामायण और काबुलीवाला का मंचन किया। शुरुआत रामायण पर केंद्रित प्रस्तुति से हुई। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने लगभग 70 कठपुतलियों के माध्यम से राम के जन्म से लेकर रावण को परास्त करने तक के जीवन को प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति में दशरथ का अपने बच्चों के प्रति प्रेम और माताओं का वात्सल्य भाव कठपुतली माध्यम से देखना बड़ा रोचक रहा।

 

प्रस्तुति की शुरुआत जहां राम के जन्म से होती है। उसके बाद राम को 14 साल का वनवास मिलता है और वन में ही सीता का हरण हो जाता है। अतंत: रामजी अपनी सेना बनाते हैं और रावण को मार देते हैं। वहीं, रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित काबुलीवाला कहानी पर आधारित प्रस्तुति कलाकारों ने प्रस्तुत की। इस प्रस्तुति में कलाकारों ने लगभग 40 कठपुतलियों के माध्यम से काबुल से आये एक व्यक्ति की कहानी को प्रस्तुत किया।

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