सत्तर बरस से जारी मजहबी समागम आलमी तब्लीगी इज्तिमा के इतिहास में यह पहली बार हुआ कि इसकी शुरूआत जुमा के दिन से हुई। यहां जमातों के पहुंचने का सिलसिला गुरुवार से ही शुरू हो गया था। शुक्रवार को यहां जुमे की नमाज अदा करने शहर से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। शुक्रवार सुबह तक देश-विदेश की करीब 1200 से ज्यादा जमातें इज्तिमागाह पहुंच चुकी थीं। लोगों का इज्तिमागाह की तरफ बढऩे का सिलसिला अब भी जारी है। सादगी से हुए निकाह, सैकड़ों ने कहा कुबूल हैन बैंड-बाजा, न शहनाई, न रस्म-ए-हल्दी और न मेहंदी की खुशबू…. सादगी के साथ 400 से ज्यादा दूल्हा अपने वाल्देन और दोस्तों के साथ इज्तिमागाह पहुंचे। यहां खासतौर से बनाए गए पांडाल में दिल्ली मरकज से आए उलेमाओं ने इनका निकाह पढ़वाया, दूल्हों ने कुबूल है, कहा और लाखों लोगों ने दुआ से नवाजकर नए जोड़ों की जिंदगी में खुशियां भरने की अल्लाह तआला से गुजारिश की। राजधानी भोपाल के अलावा प्रदेश और देशभर के दुल्हाओं का निकाह रजिस्ट्रेशन उनके रहवासी जिलों में हो चुका था। जिसकी सूचना भोपाल के तब्लीगी मरकज पर देने के बाद इनकी तकमील की गई। बयान में किसने क्या कहा … दावत, नमाज और ईमान पर बात इज्तिमा के पहले दिन जुमा को सुबह फजिर की नमाज के बाद हुए बयान में दावत, नमाज और ईमान पर बात की गई। इस दौरान उलेमाओं ने कहा कि दुनिया में सबसे पहले ईमान आया, उसके बाद दीन और इसके 13 साल बाद नमाज। उन्होंने कहा कि ईमान की वह मेहनत की जाए, जिससे अल्लह राजी हो। दावत ईमान को पुख्ता करती है। इसी तरह दावत के जरिये दिलों तक हक बात पहुंचाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि यकीन दो तरह का होता है, जो सुनने और देखने से बनता है। सुनने से फिर पैदा होती है और देखने से अल्लाह के दिखाई न देने के बावजूद उसके लिए आस्था बढ़ती है। सुबह के बयान के बाद नमाज-ए-जुमा तक जमातियों को जरूरी दिनचर्या पूरी करने के लिए समय दे दिया गया था। इसके बाद जुमा और शाम को मगरिब की नमाज के बाद भी बयान का सिलसिला चलता रहा। मगरिब का बयान पूरा होने के बाद रात को इशा की नमाज अदा की गई। लाखों लोगों के मजमे को खिताब करने के लिए दिल्ली मरकज से मौलाना साअद साहब कान्धालवी, मौलवी शौकत साहब, मौलवी शरीफ साहब, मौलाना जमशेद साहब आदि तशरीफ लाए हैंं। इनके बयान का सिलसिला शनिवार और रविवार को भी जारी रहेगा। इसके बाद रविवार रात को दुआ-ए-खास के साथ इज्तिमा का समापन होगा।
वालिंटियर ने संभाली ट्रैफिक व्यवस्था
इज्तिमा के दौरान टै्रफिक जाम की स्थिति न बने, इसके लिए 1200 से अधिक वालिंटियर रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड से लेकर इज्तिमा स्थल तक जाने वाले प्रमुख चौराहों पर तैनात थे। भोपाल टॉकीज चौराहा, नादरा बस स्टैंड तिराहा, करोंद, धर्मकांटा सहित अन्य स्थानों पर वालिंटियर टै्रफिक व्यवस्था संभाल रहे थे। इस दौरान रस्सी लगाकर और सीटी बजाते हुए चौराहों पर तैनात रहकर बारी-बारी से वाहनों को निकाला जा रहा था, कुछ स्थानों पर पुलिस के जवान भी कुर्सियां लगाकर बैठे थे। प्रमुख चौराहों पर माइक लगाकर भी टै्रफिक के बारे में वाहन चालकों को सचेत किया जा रहा था।
रेलवे स्टेशन पर प्लेटफार्म नंबर 6 के बाहर जमातियों के रूकने के लिए खास इंतजाम किए गए थे, साथ ही यहां नाश्ते की भी व्यवस्था थी। विदेशी जमातों के आने का सिलसिला शुक्रवार को भी जारी रहा। शुक्रवार को चाइना, फिलिपिंस, अरब, श्रीलंका, बंग्लादेश आदि स्थानों की जमाते पहुंची। विदेशी जमामों को खुली जीप, कार आदि के द्वारा इज्तिमागाह तक ले जाया जा रहा था, वहीं देश के विभिन्न स्थानों से आने वाली जमाते ट्रेक, बस, मिनी टेंपों से पहुंच रही थी।
झलकियां
– रेलवे स्टेशन और भोपाल टॉकीज पर इस्तकबालिया कैंपों से जमातों को नाश्ता करवाकर विदा किया जा रहा है।
– इज्तिमागाह जाने वाले सभी रास्तों पर टोपियां लगाए लोगों के हुजूम नजर आ रहे हैं। खासकर काजी कैम्प से होकर करोंद वाले रास्ते पर लोगों की आवाजाही ज्यादा है।
– करोंद से बैरसिया तक का रोड चौड़ीकरण और पुल बन जाने से यातायात सुगम हो गया है।
– इज्तिमा मार्ग पर पुलिस की विभिन्न टुकडिय़ों ने व्यवस्था संभाल रखी है। कई पाइंट बनाकर और गश्त कर व्यवस्था पर नजर रखी जा रही है।
– इज्तिमागाह पहुंचने वाले सभी रास्तों और इज्तिमागाह के आसपास 1200 से ज्यादा वालेंटियर्स यातायात व्यवस्था संभाल रहे हैं। – जमातियों के नाश्ते, खाने आदि के लिए रियायती दरों वाले फूड जोन बनाए गए हैं। जिनमें 3 रुपए में चाय, 5 रुपए की पानी की बॉटल, 20 रुपए में नाश्ता, 25 रुपए में वेज खाना, 40 रुपए में जर्दा-बिरयानी और 50 रुपए में नॉनवेज खाना दिया जा रहा है।
– प्रशासन की सख्ती का असर यह है कि इज्तिमागाह के आसपास दुकानों का फैलाव नहीं हो पाया है। यहां प्रशासन ने धारा 144 लगाकर दुकानें लगाने पर पाबंदी लगाई है।
– करीब 70 एकड़ में बने पांडाल में ठहरीं अलग-अलग शहरों की जमातों के लिए अलग-अलग खिदमत कैंप भी लगाए गए हैं।