एसएफआरआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नेशनल पार्क, सेंचुरी के कोर और बफर जोन के अलावा अन्य वन क्षेत्रों में भी बाघों के रहने के प्रमाण और उनकी अलग-अलग तस्वीरें कैमरे में कैद हुई हैं। नेशनल पार्क के बाहर सबसे ज्यादा बाघों की संख्या रातापानी अभ्यारण्य में पाई गई है। बाघों का आवागमन उन क्षेत्रों में भी हो रहा है, जहां इससे पहले बाघ कभी नहीं दिखाई देते थे, वहीं एसएफआरआइ के सिस्टम में शावकों का आकलन वास्तविक रूप से नहीं हो पाया है। कान्हा नेशनल पार्क और उसके आस-पास लगाए गए कैमरों में बाघों की सबसे ज्यादा तस्वीरे कैद हुई है।
बाघों की गणना के लिए नेशनल पार्कों और वन क्षेत्रों में 17 सौ से अधिक बीटें बनाई गई थीं, जिनमें संरक्षित और गैर संरक्षित वन क्षेत्रों में पिछले साल करीब 9 हजार से अधिक ट्रैप कैमरे लगाए गए थे, जबकि 2014 में इसकी गणना के लिए 717 बीटें बनाई गई थीं। फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट देहरादून को भेजी गई एक रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है कि मप्र के जंगलों में कैमरा ट्रैपिंग से ली गई रिपोर्ट में 385 बाघों के चित्र आए हैं यानि विश्लेषण में ये स्पष्ट हो गया है कि 385 बाघ पूरी तरह से अलग-अलग हैं।
बांधवगढ़ में मिले नौ शावक
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में तीन अलग अलग स्थानों पर 9 बाघ शावक कैमरे में कैद हुए हैं। इसके अलावा बीरसिंहपुर पाली थर्मल पावर प्लांट के पास मादा बाघ और शावक घूमते पाए गए थे। कई जगह नए बाघों के फोटो भी मिले हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के विश्लेषण के बाद प्रदेश में बाघों की संख्या का आंकड़ा 400 के पार जाएगा। वर्ष 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर कराई गई बाघों की गिनती के दौरान फोटो और विभिन्न प्रमाणों के आधार पर प्रदेश में 308 बाघ होने का दावा किया जा रहा था।
बालाघाट में 30 से ज्यादा बाघ
बालाघाट जिले में बाघों का आवागमन बढ़ा है। गिनती के दौरान कान्हा नेशनल पार्क से अलग बालाघाट के जंगलों में बाघों की संख्या संरक्षित क्षेत्र जैसी मिली है। यहां 30 से ज्यादा बाघों की मौजूदगी का अनुमान लगाया जा रहा है। इसके अलावा भिंड, अशोकनगर, बड़वानी सहित उन जिलों में बाघों की उपस्थिति के प्रमाण नहीं मिले हैं, जहां जंगल कम हो गए हैं। वहीं दतिया और सतना में पहली बार बाघों की उपस्थिति के प्रमाण मिले हैं।
अंतिम गणना देहरादून में की जाएगी
एसएफआरआइ के विश्लेषण में 382 से अधिक बाघ होने के प्रमाण मिले हैं। इस रिपोर्ट के आधार पर अंतिम गणना देहरादून में की जाएगी। – शहबाज अहमद, पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ