बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। यह महंगाई भत्ता 1 जनवरी 2022 से लागू किया गया है। इससे पहले केंद्रीय कर्मचारियों औक पेंशनर्स को 31 फीसदी के हिसाब से महंगाई भत्ता दिया जा रहा था, लेकिन सरकार ने महंगाई भत्ता 34 फीसदी कर दिया है। यह अप्रैल माह के वेतन के साथ दिया जाएगा। साथ ही 3 माह का एरियर भी दिया जाएगा। इस फैसले से मध्यप्रदेश में कार्यरत एक लाख से अधिक केंद्रीय कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
केंद्र के फैसले से मध्यप्रदेश पिछड़ा
केंद्र सरकार के तीन फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाने के फैसले से मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी अब केंद्र सरकार से 3 फीसदी पीछे रह गए हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश सरकार ने 11 फीसदी महंगाई भत्ता बढ़ाकर केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता कर दिया था, लेकिन बुधवार को एमपी के करीब साढ़े पांच लाख कर्मचारी एक बार फिर तीन फीसदी पीछे हो गए हैं।
केंद्रीय दर और केंद्रीय तिथि का रखें ध्यान
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमा शंकर तिवारी ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि मध्यप्रदेश सरकार को भी केंद्रीय दर और केंद्रीय तिथि के मुताबिक ही महंगाई भत्ता देना चाहिए। तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार के फैसलों के कई माह बाद जब प्रदेश सरकार महंगाई भत्ता बढ़ाती है तो केंद्रीय दर और केंद्रीय तिथि का ध्यान नहीं रखा जाता है। राज्य सरकार अलग तिथि और अलग ही दर लागू करती है। ऐसे में मध्यप्रदेश के सरकारी कर्मचारी पिछड़ जाते हैं। तिवारी ने कहा कि जिस प्रकार दूध के दाम, पेट्रोल के दाम उसी दिन बढ़ा दिए जाते हैं, उसी प्रकार बढ़ती महंगाई के हिसाब से महंगाई भत्ता भी उसी प्रकार बढ़ाना चाहिए।
उमाशंकर तिवारी ने राज्य सरकार से मांग की है कि मध्यप्रदेश के नियमित सरकारी कर्मचारियों की तरह ही पेंशनर्स को भी महंगाई राहत बढ़ाना चाहिए। क्योंकि वे पहले ही केंद्र सरकार के पेंशनर्स से काफी पीछे थे। अब 17 फीसदी पीछे हो जाएंगे। गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में साढ़े चार लाख पेंशनर्स हैं और साढ़े पांच लाख सरकारी कर्मचारी हैं।