इस बारे में मप्र पेट्रोल पंप एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि इससे सबसे अधिक परेशानी भारत व हिंदुस्तान पेट्रोल पंप के संचालकों को हो रही है, ऐसे में सोमवार को जहां प्रदेश के करीब 850 पेट्रोल पंपों बंद होने के कगार पर पहुंच गए है।
डीजल-पेट्रोल की किल्लत
वहीं भोपाल शहर के 12 से 13 पेट्रोल पंप की स्थिति काफी दयनीय हो गई, जिसके चलते वे कभी भी बंद हो सकते हैं। यहां आपको बता दें कि भोपाल में पेट्रोल पंपों की संख्या 152 है। इसके चलते नीलबड़,कोकता ट्रांसपोर्ट नगर, बैरसिया सहित शहर की सीमाओं व ग्रामीण क्षेत्र के पंपों पर पेट्रोल व डीजल न के बराबर बचा। इससे लोगों को एक से दूसरे पेट्रोल पंपों पर भटकना पड़ा।
वहीं इंदौर शहर के पंप संचालकों का कहना है कि शहर के आसपास असर शुरू हो गया है। कंपनियों की रणनीति से इंडियन ऑयल पर दबाव बढ़ने लगा है। यदि ऐसी स्थिति कुछ दिन रही तो डीजल-पेट्रोल की किल्लत से इनकार नहीं कर सकते हैं। पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन मप्र के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि क्रूड के दाम पहले भी बढ़े थे। तब कंपनियों ने इस तरह दिखाया था कि बीपीसीएल व एचपीसीएल से आपूर्ति प्रभावित हो रही है।
वहीं सिंह के अनुसार शहरों से ज्यादा ये परेशान इंटीरियर क्षेत्रों में अधिक है, क्योंकि एक तो वहां आवाज उठाने वाले कम ही लोग होते हैं, दूसरी बात इस समय सोयाबीन व धान की खेती के चलते उन्हें डीजल आदि की अधिक जरूरत पड़ रही है। ऐसे में पेट्रोल पंपों में तेल न होना उनके लिए एक बड़ी समस्या का कारण बन रहा है।
शाम तक पूरी स्थिति साफ होगी
बताया जा रहा है कि तेल कंपनियां ऐसे ही घाटा बता कर पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति कम करती रहीं, तो आगामी दिनों में पूरे शहर के पंपों पर पेट्रोल-डीजल खत्म हो जाएगा। सिंह के मुताबिक अभी तेल कंपनियां दो दिन में एक बार पेट्रोल व डीजल पंपों तक पहुंचा पा रही हैं। ऐसे में आज शाम तक पूरी स्थिति साफ हो पाएगी, यदि तेल नहीं आया तो सूख गए पेट्रोल पंपों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि देखने को मिल सकती है।
इसके साथ ही यदि ग्रामीण क्षेत्र में लगे पंपों तक पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति नहीं की गई जो अभी तक नहीं की जा पा रही हैं। तो प्रदेश में स्थिति और अधिक खराब होना निश्चित है।
ग्रामीण क्षेत्रों की क्यों है ज्यादा स्थिति खराब?
इसका कारण ये है कि यदि तेल नहीं पहुंचा तो ग्रामीण क्षेत्रों में सोयाबीन व धान बुरी तरह से प्रभावित होगा। वैसे ही दुनिया में चल रहे युद्ध के बीच भारत ही बड़ा कृषि वाला देश है, यदि यहां भी इस साल खेती प्रभावित हुई तो महंगाई बढ़ना तय है।
दरअसल रूस-यूक्रेन युद्ध (Rusia-ukrain war) के चलते वैश्विक स्तर पर क्रूड के दामों में जारी उतार-चढ़ाव से तेल कंपनियाें ने सुगम आपूर्ति से हाथ खींचते हुए अघोषित राशनिंग शुरू कर दी है। तेल कंपनियों की ओर से तर्क दिया जा रहा है कि डीजल में 23 रुपये और पेट्रोल में 16 रुपये प्रतिलीटर घाटा हो रहा है, इसलिए खपत के अनुसार पेट्रोल व डीजल नहीं दे पा रही हैं।
स्थिति बिगड़ते देख पेट्रोल-डीजल डीलर्स एसोसिएशन ने सरकार को आगाह कर दिया है। बताया जा रहा है कि सार्वजनिक कंपनियों ने तो फिलहाल आपूर्ति प्रबंधन शुरू किया है।
निजी कंपनियों ने तो डीलर्स को पंप बंद करने के ऑफर देने शुरू कर दिए हैं। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्रूड के दाम बढ़ रहे हैं।